सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला,नीट पीजी में ओबीसी और ईब्ल्यूएस कैटेगरी में लागू रहेगा आरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने नीट पीजी में ओबीसी और ईब्ल्यूएस कैटेगरी में आरक्षण के पेच में फंसी नीट पीजी काउंसलिंग मामले में फैसला सुना दिया है। कोर्ट के अनुसार, ओबीसी और ईब्ल्यूएस दोनों ही श्रेणी में आरक्षण लागू रहेगा। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी कि,7 जनवरी को ऑल इंडिया कोटा में (एमबीबीएस/बीडीएस और एमडी/एमएस/एमडीएस) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) में कोटा देने के मामले पर सुरक्षित रखे फैसले पर निर्णय दिया है।  

दरअसल, बीते दिन यानी कि गुरुवार को मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम में प्रवेश की परीक्षा नीट पीजी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice DY Chandrachud and Justice AS Bopanna) आज सुबह 10:30 बजे फैसला सुनवाई की है। अब जल्द ही कांउसिलिंग शुरुआत हो सकती हे।

दरअसल,आल इंडिया कोटे में आरक्षण लागू करने का भरपूर विरोध किया जा रहा है। उम्मीदवारों का कहना है, था कि नीट पीजी परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में नियम नहीं बदले जा सकते हैं। वहीं इस संबंध में नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी के चलते दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) की अगुवाई में डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है।  

क्यों फंसा है मामला ? 

केंद्र सरकार ने मेडिकल एडमिशन में ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दी थी। इसके तहत, ईडब्ल्यूएस आरक्षण 8 लाख रुपये सालाना आय वाले को मिलने का प्रावधान किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले पर पुनर्विचार करने को कहा था। इसके बाद तीन सदस्यों के पैनल ने इस पर विचार-विमर्श किया। केंद्र ने कहा कि‘पैनल के सुझाव के अनुसार, 8 लाख की सीमा उचित है। इसके बाद केंद्र और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना, जिसके तहत,ओबीसी को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस छात्रों को अखिल भारतीय कोटा मेडिकल सीटों में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने को उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद से मामला कोर्ट में अटका हुआ था।