अफगानिस्तान में कैंसर का कहर, एक साल में 16 हजार से ज्यादा लोगों की हो रही मौत

काबुल,‌ अफगानिस्तान में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। महामारी, आर्थिक संकट, सूखे -भुखमरी के साथ-साथ देश ढेरों परेशानियों से आए दिन जूझ रहा है। ऐसे में एक और हैरान-परेशान करने वाली बात सामने आई है। तालिबान के जन स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में सालाना लगभग 40 हजार लोगों में कैंसर का पता चलता है, जिनमें से अनुमानित हर साल 16 हजार से 20 हजार लोगों की जान चली जाती है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया

टोलो न्यूज ने बताया कि तालिबान के जन स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार एक घोषणा में कहा है कि वह कई प्रांतों में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से कैंसर देखभाल केंद्र स्थापित करने के लिए योजना बना रहा है। मंत्रालय के अधिकारी नैमुल्लाह अयूबी ने कहा कि फिलहाल वर्तमान में, काबुल, कंधार और हेरात में तीन सक्रिय कैंसर देखभाल केंद्र हैं।‌

जन स्वास्थ्य उप मंत्री मोहम्मद हुसैन घियास ने संवाददाताओं से कहा, ‘अफगानिस्तान में, सालाना लगभग 40 हजार लोग कैंसर से संक्रमित होते हैं, जिनमें से लगभग 16-20 हजार लोग हर साल इस बीमारी से अपनी जान गंवा रहे हैं।

तालिबान सरकार के स्वास्थ्य अधिकारियों ने देश में कैंसर के इस कहर के लिए अफगान की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बता दें कि अधिकारियों ने देश के नाजुक स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति पर पिछली सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया।

कैंसर

कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। लेकिन यदि इसका शुरुआती वक्त ने पता चल जाए तो इलाज आसान हो जाता है। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर के भीतर एक बड़ी संख्या में सेल्स (असामान्य कोशिकाएं) बनने लगती हैं। इन सेल्स की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होती है और ये उतनी ही तेजी से विभाजित भी होते हैं। यह वही असामान्य कोशिकाएं हैं जो शरीर के टिशू पर प्रहार कर उन्हें नष्ट करती हैं। यदि इसे और सामान्य भाषा में समझा जाए तो कहा जा सकता है कि सेल्स का शरीर में अनावश्यक रुप से बनाया या लगातार बढ़ना कैंसर का कारण बन सकता है।‌ क्योंकि इसके चलते या अनावश्यक रूप से बने सेल्स का एक गुच्छा/ गांठ बना लेता है, जो शरीर के टिशूज को भारी क्षति पहुंचाता है।