इस मंदिर की रक्षा खुद करते हैं महादेव, धरती खत्‍म होने के बाद भी बचा रहेगा यह

1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। आप सभी को बता दें कि इस दिन देश के तमाम शिव मंदिरों में भक्‍तों की भारी भीड़ रहती है। सबसे खास ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ता है। वहीं महाशिवरात्रि से पहले आज हम एक ऐसे शिव मंदिर की बात करते हैं, जिसके एक बार भी दर्शन कर लेने से व्‍यक्ति को दोबारा जन्‍म नहीं लेना पड़ता है। जी हाँ क्योंकि यह मंदिर मोक्ष दिलाने वाला है और यह मंदिर है काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। आप सभी को बता दें कि बनारस/काशी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर शिवपुराण में उल्‍लेख है कि जब प्रलयकाल में पूरे संसार का नाश हो जाता है, उस समय भी काशी नगर अपने स्थान पर ही रहता है।

कहा जाता है प्रलय आने पर भगवान शंकर इस नगर को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं और सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसका मतलबा है कि भगवान शिव खुद इस नगर की रक्षा करते हैं। केवल यही नहीं बल्कि धर्म ग्रंथों में यह भी उल्‍लेख है कि काशी में प्राण त्याग वाले व्‍यक्ति को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। आप सभी को बता दें कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर पुराणों में कहा गया है कि भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह होने के बाद भी माता पार्वती अपने पिता के घर पर ही रहती हैं। ऐसे में एक बार उन्‍होंने अपने पति शिव जी से कहा कि वे उन्‍हें अपने साथ ले जाएं। इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को लेकर इसी पवित्र नगरी काशी में लाए थे और यहां आकर वो विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। कहा जाता है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही व्‍यक्ति के सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं।

आपको बता दें कि इस मंदिर का शिखर 51 फीट ऊंचा है और इस पर इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1777 में पांच पंडप बनवाए थे। उसके बाद में 1853 में पंजाब के राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखरों को 22 टन सोने से स्वर्णमंडित करवाया था।