कैंसर के इलाज और एसटीएच में डायलिसिस कराने को आने वाले मरीजों को अब मिलेंगी निशुल्क दवाएं, पढ़े पूरी खबर

स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट में कैंसर के इलाज और एसटीएच में डायलिसिस कराने को आने वाले मरीजों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही उन्हें सभी दवाएं अस्पताल से निशुल्क मिलेंगी। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इन दवाओं का खर्च शिक्षा चिकित्सा विभाग उठाएगा। मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट में रोजाना 50 से ज्यादा मरीजों की ओपीडी होती है।

वहीं करीब 12 से ज्यादा लोगों की कीमो थेरेपी की जाती है। इन मरीजों को हजारों रुपये की दवा बाजार से खरीदनी होती थी। इन मरीजों की परेशानी जल्द मेडिकल कॉलेज प्रशासन दूर करने जा रहा है। इन मरीजों को अस्पताल से ही दवाएं मिल सकेंगी। इसके लिए टेंडर हो चुके हैं। टेंडर की अंतिम प्रक्रिया में एक-दो दिन में कंपनियों की फाइनेंशियल बिट खुलनी है। 

डायलिसिस मरीजों को भी राहत
डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों को काफी सामान एसटीएच प्रबंधन की तरफ से मिलता था। बावजूद इसके दवा व अन्य डाइलाइजर खरीदने होते थे। टेंडर हो जाने के बाद दवा, डाइलाइजर खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

ये दवाएं लगती हैं कीमो थेरेपी में
दवा के जानकारों के अनुसार कीमो थेरेपी में कई दवाओं के मिश्रण को फ्लूड के माध्यम से शरीर में पहुंचाया जाता है। जिसमें सिसप्लाटिन, गैमीसीटाबीन, ओक्सीप्लाटीन, इटोपोसाइड, 5 एफयू, आइसोप्लाटिन आदि शामिल हैं। 

मशक्कत के बाद मिली लिस्ट
कैंसर की दवाओं में मोटा कमीशन मिलता है। जिसके चलते कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टरों का एक गुट इसकी दवा के टेंडर के पक्ष में नहीं था। ऐसे में कैंसर की जो दवाएं टेंडर में शामिल की जानी थीं, उनकी लिस्ट देरी से मिल सकी। कॉलेज प्रशासन के दबाव पर विरोध करने वाले डॉक्टरों ने लिस्ट उपलब्ध करा दी।

कीमो थेरेपी पर एक बार में 20 हजार का खर्चा
कैंसर के कई मरीजों की कीमो थेरेपी होती है। कैंसर की स्टेज के अनुसार महीने में एक या उससे ज्यादा बार कीमो थेरेपी की जाती है। एक कीमो थेरेपी में करीब 20 से 21 हजार रुपये का खर्च आता है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद मरीजों को कीमो थेरेपी समेत कई दवाएं अस्पताल से मिलने लगेंगी।

लंबे समय से हमारी कोशिश थी कि कैंसर के मरीजों को निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जाएं। इसके लिए टेंडर कराए गए हैं। जल्द ही कैंसर व डायलिसिस की दवाएं अस्पताल से उपलब्ध हो सकेंगी।
डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी।