दो चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ा गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाए गए आठ चीतों में से दो को शनिवार शाम को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया। शेष चीतों का क्वारंटाइन समय पूरा होने के बाद उन्हें बढ़े बाड़े में एक-दो दिन में छोड़ा जाएगा। चीता टास्क फोर्स के चार सदस्यों ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के लिए बनाए गए बड़े बाड़ों का शनिवार को निरीक्षण किया।

This image has an empty alt attribute; its file name is %E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%AD%E0%A5%8D%E0%A4%97.webp

इस मौके पर पीएम ने भी ट्वीट कर लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा, बड़ी खुशखबरी! एएम ने बताया कि अनिवार्य क्वारंटाइन के बाद, 2 चीतों को कुनो आवास में और अनुकूलन के लिए एक बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है। अन्य को जल्द ही कुनो में छोड़ा जाएगा। यह जानकर भी खुशी हुई कि सभी चीते स्वस्थ, सक्रिय और अच्छी तरह से समायोजित हैं।

चीतों ने पूरा किया अपना क्‍वारंटाइन पीरियड

इधर नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क में लाए गए आठ अफ्रीकन चीते पिछले लगभग डेढ़ महीने से सेपरेट बाड़ों (Enclosures) में रह रहे हैं। इन चीतों ने एक माह से अधिक समय का क्वारनटाइन में रहकर बिता लिया है। जिसके बाद 2 चीतों को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया गया है।

भारत में वन्यजीव संरक्षण का इतिहास लंबा

भारत में वन्यजीव संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है। सबसे सफल वन्यजीव संरक्षण उपक्रमों में से एक ‘प्रोजेक्ट टाइगर’, जिसे 1972 में शुरू किया गया था, ने न केवल बाघों के संरक्षण में बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी योगदान दिया है।

1947-48 में छत्तीसगढ़ में कोरिया के महाराजा द्वारा अंतिम तीन चीतों का शिकार किया गया था और आखिरी चीते को उसी समय देखा गया था। 1952 में भारत सरकार ने चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया और तब से मोदी सरकार ने लगभग 75 वर्षों के बाद चीतों को बहाल किया है।



Pmc Publish

Learn More →