प्रदेश में इस साल डेंगू के 2138 मामले मिले, सबसे अधिक देहरादून में हुई पुष्टि

वातावरण में काफी हद तक ठंडक है, लेकिन डेंगू की बीमारी फैलाने वाले एडीज मच्छर की सक्रियता कम नहीं हो रही है।

ऐसा दिन कोई नहीं जब डेंगू के नए मामले न मिल रहे हों। शनिवार को भी प्रदेश में डेंगू के 11 नए मामले मिले हैं। इनमें से देहरादून में सात और ऊधमसिंहनगर में चार व्यक्तियों को डेंगू का डंक लगा है।

इस साल डेंगू के 2138 मामले मिल चुके

प्रदेश में इस साल डेंगू के 2138 मामले मिल चुके हैं। इनमें भी सबसे अधिक 1382 लोग में देहरादून में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा हरिद्वार में 282, पौड़ी में 183 और नैनीताल में 160 लोग को डेंगू का डंक लग चुका है।

ठंड के मौसम में भी डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छर की सक्रियता देख स्वास्थ्य महकमा भी सकते में है। हालांकि, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि डेंगू की रोकथाम के लिए निरंतर अभियान चलाया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में डेंगू के नए मामले मिल रहे हैं वहां पर दवा आदि का छिड़काव किया जा रहा है। वहीं आशाएं ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीणों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक कर रही हैं।

बसेड़ी गांव में सात और ग्रामीणों में हुई डेंगू की पुष्टि

वहीं लक्सर के बसेड़ी गांव में डेंगू से हुई चार मौतों के बाद ग्रामीण भयभीत हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में शिविर लगाकर जांच में जुटी है। अनाउंसमेंट कराकर ग्रामीणों से अपना स्वास्थ्य परीक्षण कराने की अपील की जा रही है। उधर, शनिवार को कराई गई जांच में सात और ग्रामीणों मे डेंगू की पुष्टि हुई।

लक्सर से सटे बसेड़ी गांव में पिछले एक माह से अधिक समय से डेंगू का प्रकोप है। ग्रामीणों के बड़ी संख्या में बुखार की चपेट में होने की सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पिछले दिनों गांव में शिविर लगाकर 264 ग्रामीणों के सैंपल लेकर जांच कराई थी, जिसमें 57 ग्रामीणों में डेंगू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद ग्रामीणों की जांच एवं इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग टीमों को गांव में लगाया गया था।

बसेड़ी निवासी जिला पंचायत सदस्य की भाभी मीना और गांव की संतोष तथा एक अन्य महिला की बुखार की चपेट आकर दो सप्ताह पहले मौत हो चुकी है। जबकि, गुरुवार को एक ग्रामीण जहीर की डेंगू की चपेट में आकर मौत हो गई।

ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सूचना के बावजूद विभाग ने समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया। इसके चलते गांव में बीमारी फैली तथा इतनी बड़ी संख्या में ग्रामीण डेंगू की चपेट में आ गए और तीन महिलाओं समेत चार लोगों की मौत हो गई।

तीन-चार दिन शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच की

महिलाओं की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की फिर से नींद टूटी और दोबारा गांव में तीन-चार दिन शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच शुरू की गई थी। इसके बाद शिविर बंद कर दिया गया था, लेकिन गुरुवार को गांव के एक और व्यक्ति की मौत के बाद फिर से स्वास्थ्य विभाग नींद से जागा तथा गांव में फिर से शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच शुरू की गई है।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लक्सर के चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर नलिन असवाल ने बताया कि गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच कराई जा रही है। अभी तक 496 लोगों के सैंपल लेकर जांच कराई जा चुकी है। इनमें 83 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि गुरुवार और शुक्रवार को गांव के 50 लोगों की कराई गई जांच में सात और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है।

एसीएमओ डाक्टर अनिल वर्मा ने बताया कि गांव में शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच व उपचार किया जा रहा है। ग्रामीण अपनी बीमारी स्वास्थ्य विभाग से छिपा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

वहीं कहा जा रहा है कि बसेड़ी के अलावा लक्सर क्षेत्र के ऐथल, सुल्तानपुर तथा खानपुर क्षेत्र के प्रहलादपुर गांव समेत अन्य कई गांवों में लोग डेंगू की चपेट में हैं। हालांकि स्वास्थ्य महकमा इस पर पर्दा डालने के प्रयास में जुटा है। अकेले बसेड़ी गांव में चार ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, जबकि स्वास्थ्य विभाग डेंगू से महज एक मौत होने का दवा कर रहा है।

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