उत्तरी नाइजीरिया में दो अलग-अलग घटनाएं हुईं, बदूंक लिए बदमाशों ने 15 ग्रामीणों की कर दी हत्या  

उत्तरी नाइजीरिया में दो अलग-अलग घटनाएं हुईं। दोनों घटनाओं में बदूंक लिए बदमाशों ने 15 ग्रामीणों की हत्या कर दी और पांच सहायता कर्मियों का अपहरण कर लिया है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी डेविड ओलोफू ने पूरी घटना का विवरण दिया। उन्होंने कहा कि अज्ञात हमलावर बेन्यू राज्य के आपा इलाके में पहुंचे।

घरों में घुसकर मारी गोली

वहां वे सभी ग्रामीणों के घरों में जबरन घुस गए और उन पर गोलियां बरसा दी। जिससे 15 ग्रामीणों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि हमले में मारे गए लोगों में सैन्यकर्मी भी शामिल हैं। वहीं ताबड़तोड़ गोलियों की बरसात से कई घर तबाह हो गए। हालांकि कुछ ग्रामीण सुरक्षित स्थानों पर भाग गए थे जिससे उनकी जान बच गई।

एक महीने में 80 से ज्यादा लोगों की गई जान

बेन्यू की यह घटना हिंसक हमलों के सिलसिले में नई है, जिसमें बदमाश समूह नाइजीरिया के उत्तर-पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में दूरदराज के समुदायों को निशाना बना रहे हैं। बेन्यू में पिछले एक महीने में ऐसे हमलों में 80 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। किसी भी समूह ने हत्याओं की जिम्मेदारी नहीं ली है, हालांकि अधिकारियों ने फुलानी चरवाहों को दोषी ठहराया है। फुलानी जनजाति के ज्यादातर युवा चरवाहों का एक समूह है। पानी और जमीन तक सीमित पहुंच को लेकर मेजबान समुदायों और चरवाहों के बीच नाइजीरिया के संघर्ष में फुलानी जनजाति फंस गई।

पांच सहायताकर्मियों का अपहरण

इस बीच, पूर्वोत्तर नाइजीरिया में, इस्लामिक चरमपंथियों ने बोर्नो राज्य के नगला में पांच सहायता कर्मियों का अपहरण कर लिया है। वहां पर एक दशक से अधिक समय से सरकार के खिलाफ विद्रोह चल रहा है। सहायता कर्मियों में अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन एफएचआई 360 के तीन कर्मचारी सदस्य और दो ठेकेदार शामिल थे। वे सभी नाइजीरिया के लोगों को जीवनरक्षक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए काम कर रहे थे।

सहायताकर्मियों की सुरक्षित वापसी का किया आह्नान

एफएचआई 360 ने श्रमिकों के अपहरण की निंदा की और सभी सुरक्षाकर्मियों को बिना शर्त, तत्काल और सुरक्षित वापसी का आह्वान किया। संगठन के निदेशक अपेरा ने कहा कि इस समय हमारी प्राथमिकता हमारी टीम और उनके परिवारों का समर्थन करना है। बोको हरम चरमपंथी समूह 2009 से नाइजीरिया के खिलाफ एक कड़वा युद्ध छेड़ रहा है और यह विद्रोह पिछले कुछ वर्षों में कैमरून, नाइजर और चाड के पड़ोसी देशों में फैल गया है।

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