अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में सजा को लेकर इस दिन होगी सुनवाई
अहमदाबाद, 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने बुधवार को कहा कि वह दोषियों को सजा की तय करने के लिए 11 फरवरी से दलीलों पर सुनवाई शुरू करेगी। पहले ये सुनवाई बुधवार को टाल दी गई थी क्योंकि बचाव पक्ष के एक वकील ने अदालत द्वारा मामले में आगे की कार्यवाही शुरू करने से पहले दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए कुछ समय का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इंडियन मुजाहिदीन की ओर से 2008 में किये गये सिलसिलेवार 21 बम धमाकों के 77 आरोपियों में से विशेष अदालत ने 49 को दोषी माना है जबकि 28 को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया। इन धमाकों में 56 लोग मारे गये थे जबकि दो सौ से अधिक घायल हो गये थे।
विशेष अदालत ने शुरुआत में साबरमती जेल में ही केस का ट्रायल शुरु किया तथा बाद में वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए आरोपियों की सुनवाई की। स्पेशल जज ए आर पटेल ने मंगलवार को अहमदाबाद बाद सिलसिलेवार बम धमाके के 77 आरोपियों में से 49 को दोषी माना जबकि सबूतों के अभाव में 28 को निर्दोष छोड़ दिया। आठ आरोपी अभी फरार हैं। जांच टीम के सदस्य रहे गांधीनगर रेंज आईजी अभय चूडास्मा बताते हैं कि शाम को उन्हेंपहला मैसेज मिला तो वे नारोल के लिए रवाना हुए इसी बीच एक के बाद एक 21 धमाके हुए।
आतंकियों ने इस बम प्लांट किये थे कि बम धमाकों के बाद जब घायलों को लेकर अस्पताल पहुंचें तो वहां एकत्र हुई भीड़, राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्र के लोगों को भी निशाना बनाते हुए वहां भी बम धमाका किया जाए। अहमदाबाद सिविल अस्पताल में हुए ऐसे ही बम धमाके में सबसे अधिक 37 लोग मारे गये थे। स्थानीय विधायक, पूर्व गृह राज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा भी तब यहां घायलों को देखने पहुंचे थे। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 की शाम को सिलसिलेवार 19 बम धमाके हुए। इसमें करीब 56 लोगों की मौत हो गई थी तथा 2 सौ से अधिक घायल हो गये थे। अगले दिन सूरत में दो दर्जन जीवित बम बरामद हुए थे। बम धमाका मामलों में अहमदाबाद में 20 तथा सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं।
पुलिस ने 8 लाख फोन काल्स में से 100 फोन नंबर निकाले तथा उनमें भी सबसे अधिक सक्रिय 40 फोन नंबर के जरिए आतंकियों के इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया। पुलिस ने पहला आरोपी फोन के आधार पर जूहापुरा अहमदाबाद से जाहिद कुतबुद्दीन शेख को गिरफ्तार किया। आई जी चूडास्मा बताते हैं कि एक दिन भरुच से किसी ने बताया कि धमाकों में उपयोग की गई कार यहां देखी गई है। तो वे अपने साथी आईपीएस मयूर चावडा आदि के साथ निजी कार लेकर भरुच पहुंचे। यहां एक मकान में दबिश दी जहां बम बनाने की सामग्री व अन्य विस्फोटक मिले। पुलिस ने यहां से एक मोबाइल नंबर तलाशा जिसके आधार पर इस आतंकी साजिश के मुख्य सूत्रधार यासिन भटकल तक पहुंचे।
आईएम, सिमी के आतंकियों की थी साजिश
यासीन भटकल हाल दिल्ली कीजेल में है जबकि 27 अन्य 7 राज्यों की जेलों में है। धमाकों में आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल का उपयोग किया गया इनमें उत्तर प्रदेश का मुफ्ती अबु बकर शेख, उज्जैन का सफदर नागौरी, वडोदरा का इकबाल कासम, मुंबई का अफजल उस्मानी स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के पूर्व आतंकी भी शामिल थे।
जैसे खून की नदी बहने लगी
चूडास्मा बताते हैं कि धमाकों के बाद शहर में बारिश हो गई थी। प्रचंड बम धमाकों के कारण लोगों के शव क्षत विक्षत हो गये थे। यह पहचानना मुश्किल था कि किसका हाथ, पैर है और किसका सिर। यहां बहता खून बारिश के पानी के साथ फैलता गया तो ऐसा दृश्य बन गया मानो खून की नदी बह रही हो।
51 लाख पेज के आरोप पत्र
वरिष्ठ सरकारी वकील सुधीर ब्रम्हभट्ट के लिए यह कैरियर का सबसे बडा केस था। वे बताते हैं कि पुलिस ने उनके साथ लंबी बैठके व मंत्रणा के बाद 51 लाख पन्नों के 521 आरोप पत्र तैयार किया। 1170 गवाहों के बयान कलमबद्ध किये गये। अब तक 9 न्यायाधीशों ने केस की सुनवाई की। पहला आरोप पत्र भी 9800 पन्नों का था। इन्हें अदालत में लाने के लिए विशेष वाहन की व्यवस्था की गई।
अन्य राज्यों की पुलिस की 52 टीमें भी जुटीं
आईजी चूडास्मा बताते हैं बम धमाकों की जांच के लिए गुजरात पुलिस की टीमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र आदि राज्यों में पहुंची। इन राज्यों की पुलिस भी जांच में सक्रिय हुई ताकि उनके राज्यों की आतंकी घटनाओं के सुराग लगा सकें। एक समय अहमदाबाद में अन्य राज्यों की पुलिस की 52 टीमें मौजूद थीं।
बम धमाकों की जांच गुजरात कैडर के टॉप आईपीएस अधिकारियों ने की थी। इस टीम में गुजरात पुलिस महानिदेशक आशीष भाटिया, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के चीफ हिमांशु शुक्ला, गांधीनगर रेंज आईजी अभय चूडास्मा, क्राइम ब्रांच के अति आयुक्त जी एल सिंघल, गांधीनगर एस पी मयूर चावडा आदि शामिल थे।
धमाकों के अगले दिन 27 जुलाई 2008 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अहमदाबाद आए तथा सिविल ट्रोमा सेंटर आदि घटनास्थलों का दौरा किया। उनके साथ गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे। बम धमाकों के तमाम दोषियों को बुधवार सुबह सजा का ऐलान होगा। उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, आईपीसी की हत्या, देशद्रोह, साजिश रचने जैसी धाराओं, आर्म्स एक्ट, आईटी एक्ट के तहत केस चला।
बम धमाकों में भाजपा नेता प्रदीप परमार भी जख्मी हो गये थे। 2017 में वे विधायक चुने गये तथा पिछले मंत्रिमंडल परिवर्तन में उन्हें सामाजिक न्याय राज्यमंत्री बनाया गया। भाजपा विधायक प्रदीप सिंह जाडेजा सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर पर खड़े थे जहां उनके सामने ही एक प्रचंड बम धमाका हुआ था और वे बाल -बाल बचे थे।
दर्द व डर आज भी महसूस करता है यश
धमाके की शाम यश व्यास अपने पिता व भाई के साथ सिविल अस्पताल परिसर में साइकिल चला रहा था। धमाकों में घायल लोगों को जब ट्रोमा सेंटर लाया गया तो पिता के साथ ज्यों ही वे उन्हें देखने पहुंचे तो प्रचंड बम धमाका हुआ जिसमें उसके भाई रोहन व पिता दुष्यंत व्यास की मौत हो गई। यश के पिता कैंसर विभाग में लैब टेक्नीशियन थे, धमाके में यश 50 फीसदी से अधिक जल गया था। उस वक्त वह 10 वर्ष का था अब 24 साल का हो गया तथा विज्ञान में स्नातक कर लिया। पिता व भाई को याद करके आज भी उसकी आंखे भीग जाती है। वह खुद चार माह अस्पताल के बर्न वार्ड में रहा, 13 साल पुरानी घटना आज भी उसकी आंखों के सामने आती है तो वह कांप उठता है। यह उसकी जिंदगी का सबसे भयावह हादसा था। आज भी वह धमाकों का डर व दर्द महसूस करता है।