पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा प्रदेश में खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसी बीच प्रदेश के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि इन स्कूलों की समीक्षा के लिए कमेटी गठित की गई है, इसका मतलब यह नहीं है कि इन स्कूलों को बंद कर दिया जाएगा।
राज्य में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में खोले गए अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर उठे विवाद पर राज्य के कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि सभी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने की खबरें भ्रामक हैं। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों की समीक्षा की जा रही है और आवश्यकतानुसार उन्हें जारी रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि समीक्षा का मतलब किसी भी संस्थान को बंद करना नहीं है। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का उद्देश्य है कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि ये स्कूल सही मायनों में अंग्रेजी माध्यम के हों। शिकायतें मिली थीं कि कई स्कूलों में केवल बोर्ड अंग्रेजी माध्यम का था, जबकि वहां न तो योग्य अंग्रेजी शिक्षक थे और न ही पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में हो रही थी।
उन्होंने आगे बताया कि कुछ स्कूल ऐसे पाए गए हैं, जहां एक भी अंग्रेजी शिक्षक नियुक्त नहीं किया गया था। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जहां अंग्रेजी माध्यम स्कूल आवश्यक हैं, वहां शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखी जाए।
गौरतलब है कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा सरकार को घेर रही है। साथ ही कांग्रेस नेताओं द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह कदम गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को अंग्रेजी शिक्षा से वंचित करने की साजिश है।
हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा को डर है कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके उनके बच्चों के बराबर आ जाएंगे। यही वजह है कि भाजपा सरकार इन स्कूलों की समीक्षा कर रही है।
उन्होंने कहा- आंकड़े बताते हैं कि 75% गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं 90% भाजपा नेताओं के बच्चे महंगे निजी स्कूलों और विदेशों में पढ़ाई करते हैं। यह स्पष्ट है कि भाजपा की नीतियां गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के खिलाफ हैं।
कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करते हुए भाजपा ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया। मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की समीक्षा का उद्देश्य है कि छात्रों को सही मायनों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा मिले। यह कदम किसी क्षेत्र या वर्ग के खिलाफ नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि जहां अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की जरूरत है, वहां इन्हें बंद नहीं किया जाएगा। हालांकि जहां नए छात्रों का नामांकन नहीं हो रहा है और अभिभावक हिंदी माध्यम स्कूल की मांग कर रहे हैं वहां समीक्षा के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।