अन्तर्राष्ट्रीय

अंटार्कटिका के नीचे रोबोटिक मिशन ने गर्म धाराओं का रहस्य किया उजागर

अंटार्कटिका की डॉटसन आइस शेल्फ के नीचे पहली बार किए गए रोबोटिक सर्वे ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि गर्म और खारा गहरा समुद्री जल बर्फ के बिल्कुल निचले हिस्सों तक बिना किसी बड़े मिश्रण के क्षैतिज रूप से बहते हुए सीधे ग्राउंडिंग लाइन तक पहुंच रहा है। वह संवेदनशील इलाका है जहां ग्लेशियर समुद्र तल को छोड़कर तैरना शुरू करता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन ने पिघलन की वास्तविक प्रक्रिया को समझने की दिशा में बड़ा मोड़ दिया है और समुद्र-स्तर में भविष्य की वृद्धि के अनुमानों को लेकर वैज्ञानिक समुदाय को नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया है। यूईए के वैज्ञानिकों ने 2022 में बोटी मैकबोटफेस नामक पानी के भीतर चलने वाले उन्नत स्वायत्त रोबोट की मदद से अमुंडसेन सागर में स्थित डॉटसन आइस शेल्फ के नीचे लगभग 100 किलोमीटर लंबा पहला गहन सर्वेक्षण संचालित किया।

मिशन ने समुद्री तल से करीब 100 मीटर ऊपर रहकर तापमान, लवणता, ऑक्सीजन स्तर, धारा की रफ्तार और जल मिश्रण के आंकड़े जुटाए जो अब तक अंटार्कटिका की कठिन परिस्थितियों में लगभग असंभव माने जाते थे।डॉटसन विश्व के उन क्षेत्रों में गिना जाता है जहां ग्लेशियर सबसे तेजी से पिघल रहे हैं और समुद्र की गहराइयों से आने वाली गर्मी को इसका प्रमुख कारण बताया जाता है। लेकिन अब इस शोध ने दिखाया कि गर्मी किस तरह बर्फ के आधार तक पहुंचती है, यह हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा जटिल है।

गर्म पानी ऊपर नहीं उठता, सीधे ग्राउंडिंग लाइन की ओर बहता है
सबसे बड़ा खुलासा यह है कि गर्म, गहरा और अधिक खारा पानी पारंपरिक धारणा के विपरीत ऊपर की ओर मिलकर पिघलन नहीं बढ़ाता, बल्कि क्षैतिज दिशा में तेजी से बहते हुए सीधे ग्राउंडिंग लाइन तक पहुंचता है। इसका मतलब है ग्लेशियर नीचे से अधिक पिघलते हैं। उनकी संरचना तेजी से कमजोर होती है तथा पीछे हटने की रफ्तार बढ़ती है और समुद्र में बर्फ का नुकसान कई गुना बढ़ता है। यह प्रक्रिया वैश्विक समुद्र-स्तर बढ़ोतरी में बड़ा योगदान देती है, क्योंकि अमुंडसेन सागर बेसिन में होने वाला बर्फ-नुकसान अकेले पृथ्वी के भविष्य का समुद्र-स्तर तय करने में निर्णायक भूमिका निभाता है।

समुद्री धारा की गति नहीं, समुद्री तल की ढलान असली खिलाड़ी
रोबोट ने 5-10 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की समुद्री धारा दर्ज की। वैज्ञानिकों का अनुमान था कि तेज धारा ही पानी के मिश्रण को नियंत्रित करती है, लेकिन निष्कर्ष इसके बिल्कुल विपरीत निकले। समुद्र तल की ढलान कभी-कभी 45 डिग्री तक ही गर्म पानी को ऊपर धकेलने या नीचे रोके रहने का वास्तविक कारक है। जहां ढलान तीव्र है, वहां गर्म पानी कुछ ऊंचाई तक मिश्रित होता है। बाकी विशाल कैविटी में गर्म पानी बिना मिश्रण के ज्यों का त्यों ग्लेशियर के आधार तक पहुंच जाता है। यह निष्कर्ष पिघलन के ज्यामितीय और भौतिक विज्ञान को नए आयाम देता है।

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