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अब दुश्‍मनों की खैर नहीं, नौसेना को मिली अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी

परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल से लैस अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी गुरुवार को नौसेना को मिल गई। परमाणु शक्ति संपन्न ‘आइएनएस अरिघात’ को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल किया गया। ‘आइएनएस अरिघात’ को भारत की नौसैनिक शक्ति और परमाणु प्रतिरोध क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बी (एसएसबीएन- शिफ, सबमरीन, बैलिस्टिक, न्यूक्लियर) कार्यक्रम भारत की एक अत्यंत गोपनीय परियोजना है। रक्षा मंत्री राजनाथ ¨सह की मौजूदगी में नौसेना में शामिल की गई ‘आइएनएस अरिघात’ की लंबाई लगभग 112 मीटर है।

अरिहंत’ की परियोजना जुलाई 2009 में शुरू
यह के-15 मिसाइलों से लैस है जिनकी मारक क्षमता 750 किलोमीटर है। देश की पहली स्वदेश निर्मित परमाणु पनडुब्बी ‘आइएनएस अरिहंत’ की परियोजना जुलाई 2009 में शुरू की गई थी और 2016 में उसका जलावतरण किया गया था।

83 मेगावाट के प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर
दोनों पनडुब्बियों में 83 मेगावाट के प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर लगे हैं जिससे वे बिना ऊपर आए लंबे समय तक पानी में रह सकती हैं। जबकि पारंपरिक डीजल-इलेक्टि्रक पनडुब्बियों को नियमित अंतराल पर सतह पर आना पड़ता है। अचानक हुए हमले से बचने व जवाबी हमले करने की क्षमता के कारण एसएसबीएन प्रतिरोधक की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। दुश्मन के लिए इनको तलाश कर पाना भी कठिन होता है।अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास लंबी दूरी की मिसाइलों वाली बड़ी एसएसबीएन हैं। उदाहरण के लिए चीन के पास छह जिन-क्लास एसएसबीएन हैं जो जेएल-3 मिसाइलों से लैस हैं।

इनका निर्माण तीन चरणों में किया जाएगा
इन मिसाइलों की मारक क्षमता 10 हजार किलोमीटर तक है। अमेरिका के पास 14 ओहियो-श्रेणी की एसएसबीएन हैं।दीर्घकालिक खरीद एवं क्षमता विकास रणनीति के तहत सरकार की योजना परमाणु और पारंपरिक दोनों तरह की पनडुब्बियों के निर्माण की है। इसमें पांच अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियां और छह परमाणु हमला करने में सक्षम पनडुब्बियां शामिल हैं। इनका निर्माण तीन चरणों में किया जाएगा।

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति 6,000 टन की दो ‘हंटर-किलर’ एसएसएन (परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां) के निर्माण के लिए लगभग 40 हजार करोड़ रुपये की परियोजना पर विचार कर रही है। ये टारपीडो, एंटी-शिप व लैंड-अटैक मिसाइलों से लैस होंगी। इनके निर्माण में एक दशक लगने की उम्मीद है।

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