टेक्नोलॉजी

अब सेबी करेगा सोशल मीडिया पर शेयर बाजार से जुड़े विज्ञापनों के लिए वेरिफिकेशन

सेबी ने शुक्रवार को रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज से कहा कि अगर वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे Google और Meta पर विज्ञापन करना चाहते हैं, तो उन्हें इन प्लेटफॉर्म्स पर वही कॉन्टैक्ट डिटेल्स, जैसे ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर, इस्तेमाल करके रजिस्टर करना होगा, जो उन्होंने मार्केट्स रेगुलेटर को दिए हैं। ये जानकारी न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से मिली है।

इस कदम का मकसद सिक्योरिटीज मार्केट में फ्रॉड एक्टिविटीज पर लगाम लगाना है। यह फैसला सेबी ने तब लिया, जब उसने देखा कि YouTube, Facebook, Instagram, WhatsApp, X (पहले Twitter), Telegram और Google Play Store जैसे प्लेटफॉर्म्स पर सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े फ्रॉड में तेजी से इजाफा हुआ है।

ऐसे लोगों को लुभा रहे हैं फ्रॉड

डिजिटल कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते इस्तेमाल के साथ, सेबी ने पाया कि ऐसे फ्रॉड करने वाले लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग कोर्स, सेमिनार, भ्रामक या झूठे टेस्टिमोनियल्स, निश्चित या रिस्क-फ्री रिटर्न के वादे आदि के नाम पर लोगों को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (SMPs) के जरिए लुभा रहे हैं।

निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, सेबी ने इन प्लेटफॉर्म्स पर रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज के आचरण को मजबूत करने के कदम उठाए हैं। रेगुलेटर ने एक बयान में कहा, ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म प्रोवाइडर्स के साथ चर्चा के बाद यह तय किया गया है कि Google/Meta (शुरुआत के लिए) जैसे SMPPs पर विज्ञापन अपलोड/प्रकाशित करने वाले सभी सेबी रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज को इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सेबी SI पोर्टल पर रजिस्टर्ड अपनी ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर से रजिस्टर करना होगा।’

इसके बाद, ये प्लेटफॉर्म्स इंटरमीडियरीज की वेरिफिकेशन चेक करेंगे, ताकि विज्ञापन प्रकाशित करने की अनुमति मिलने से पहले उनकी वैधता सुनिश्चित हो सके। इस वेरिफिकेशन प्रोसेस का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल वैध और वेरिफाइड मध्यस्थ ही इन प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन दे सकें।सेबी ने सभी इंटरमीडियरीज से कहा है कि अगर वे SMPs पर विज्ञापन देना चाहते हैं, तो उन्हें अपनी कॉन्टैक्ट डिटेल्स- खास तौर पर ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर- 30 अप्रैल, 2025 तक सेबी SI पोर्टल पर अपडेट कर लेना होगा।ये कदम सेबी के उन प्रयासों का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य फ्रॉड एक्टिविटीज को रोकना, निवेशकों के हितों की रक्षा करना और सिक्योरिटीज मार्केट को ज्यादा पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है।

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