अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका के बदले सुर, अब कहा- रूस के साथ अपने रिश्ते को भारत छोड़ने वाला नहीं

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश के आरोपों के संबंध में भारत के साथ बातचीत सम्मानजनक और प्रभावी रही, क्योंकि यह बंद दरवाजों के पीछे हो रही है। उन्होंने कहा कि हमने इस मुद्दे पर भारत के साथ रचनात्मक बातचीत की है। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि हम इस पर कहां खड़े हैं और क्या चाहते हैं।

रूस के साथ रिश्ते छोड़ने वाला नहीं है भारत

सुलिवन शुक्रवार को कोलोराडो में एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में पन्नू की हत्या के प्रयास से संबंधित आरोपों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उनसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा से संबंधित सवाल भी पूछे गए। उन्होंने कहा कि भारत रूस के साथ अपने रिश्ते को छोड़ने वाला नहीं है।

चीन का जूनियर भागीदारी बना मॉस्को

भारत द्वारा रूस के साथ सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंधों को गहरा करने का कोई ठोस सुबूत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मॉस्को चीन का जूनियर भागीदार बन गया है। जरूरी नहीं कि वह भविष्य में किसी आकस्मिक स्थिति में भारत का महान और विश्वसनीय मित्र बने।

नहीं लगता भारत और रूस के संबंध गहरे हो रहे

सुलिवन ने कहा कि मुझे लगता है कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हम इस बात के ठोस सुबूत देखते हैं कि भारत रूस के साथ अपने सैन्य और प्रौद्योगिकी संबंधों को गहरा कर रहा है। मुझे उस यात्रा से कोई ठोस सुबूत नहीं मिला कि यह गहरा हो रहा था। मैंने उस स्थान पर कोई उपलब्धि नहीं देखी।

पीएम मोदी का अपना तरीका

सुलिवन से पीएम मोदी की ओर से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाने को लेकर भी सवाल पूछा गया। सुलिवन ने कहा कि पीएम मोदी का विश्व नेताओं का अभिवादन करने का अपना तरीका है। मैंने इसे करीब से और व्यक्तिगत रूप से देखा है। हालांकि, बाइडन प्रशासन कभी नहीं चाहता कि जिन देशों की अमेरिका परवाह करता है, जो उसके साझेदार और मित्र हैं, वे मास्को में आएं और पुतिन को गले लगाएं।

भारत के साथ रिश्तों को गहरा करना चाहता है अमेरिका

सुलिवन ने कहा कि बेशक हम ऐसा नहीं करते, लेकिन भारत के साथ हमारे संबंधों के संदर्भ में आप जानते हैं। हम प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शासन व्यवस्था और भू-राजनीति में भारी अवसर देखते हैं। हम उस रिश्ते को समान रूप से दो संप्रभु देशों के रूप में गहरा करना चाहते हैं। भारत का रूस के साथ एक ऐतिहासिक रिश्ता है, जिसे वे खत्म नहीं करेंगे। 

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