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अमेरिकी चुनाव का काउंटडाउन शुरू, आखिर कैसे चुना जाता है राष्ट्रपति

अमेरिका के आम चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। राष्ट्रपति पद की इस जंग में एक तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं तो दूसरी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं। चुनाव में केवल दो दिन बचे हैं और पूरा देश राजनीतिक बहस और रैलियों से पटा है।

डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में मुकाबला काफी कड़ा है। कई सर्वों में सामने आया है कि मुकाबला कांटे का होने वाला है। हर चार साल में होने वाले इस चुनाव की प्रक्रिया काफी जटिल है। यहां तक की उम्मीदवार बनने के लिए भी चुनाव होता है। चुनाव में कई चरण शामिल होते हैं, आइए जाने अमेरिकी चुनाव की पूरी प्रक्रिया….

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया को कई प्रमुख चरणों में बांटा गया है, जिसमें प्राइमरी और कॉकस, राष्ट्रीय सम्मेलन, आम चुनाव अभियान और इलेक्टोरल कॉलेज वोट शामिल है।

चुनाव की मुख्य बातें…

अमेरिका चुनाव की प्रक्रिया एक साल पहले ही शुरू हो जाती है। इसमें दो मुख्य दल हैं, एक डेमोक्रेटिक और एक रिपब्लिकन। इन दोनों के उम्मीदवार ही चुनाव की शुरुआत करते हैं।

चुनाव में इन पार्टियों के उम्मीदवार ही पैसा जुटाने के लिए रैलियां करते हैं और एक दूसरे के सामने टीवी पर बहस भी करते हैं।

चुनाव का पहला चरण

1. जनवरी से जून तक प्राइमरी और कॉकस 

सबसे पहले प्राइमरी और कॉकस ऐसे चरण हैं, जिसमें सभी 50 राज्यों, कोलंबिया और अमेरिकी क्षेत्रों में राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का चुनाव होता है। दोनों का काफी महत्व है।

कॉकस

इसमें पार्टी के सदस्य ही वोटिंग के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार चुनते हैं। इसमें पसंदीदा उम्मीदवार के लिए पार्टी के सदस्यों की बैठक होती है। इसके बाद कॉकस उम्मीदवार क चुना जाता है, जो दोनों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी में होता है। 

 प्राइमरी

प्राइमरी चुनावों के दौरान पंजीकृत मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं। चुनाव से 6 से 9 महीने पहले उम्मीदवार के लिए वोटिंग होती है। अधिकांश राज्यों में प्राइमरी चुनाव होता है। 

आयोवा, न्यू हैम्पशायर, नेवादा और साउथ कैरोलिना के नतीजों पर सबसे ज्यादा फोकस होता है। इन क्षेत्रों के नतीजे आमतौर पर यह निर्धारित करते हैं कि प्रत्येक पार्टी के लिए अंतिम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा।

2. नेशनल कन्वेंशन (जुलाई से अगस्त)

प्राइमरी और कॉकस के बाद डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां अपने नेशनल कन्वेंशन आयोजित करती हैं। आम चुनाव से पहले ये सम्मेलन पार्टियों के लिए काफी अहम होते हैं। इसमें भाषण, रैलियां और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवार का आधिकारिक घोषणा होती है।इस साल भी ऐसा ही हुआ और राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कन्वेंशन) से कुछ महीनों पहले ही जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बनने के लिए पूर्ण समर्थन मिला था। हालांकि घोषणा से कुछ समय पहले सर्वों में पिछड़ता देख और बहस के दौरान हल्के प्रदर्शन के बाद बाइडन की जगह डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को रेस में ला दिया। नेशनल कन्वेंशन में ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है। इसके बाद प्रचार की दौड़ शुरू हो जाती है। 

3. सितंबर से अक्टूबर तक चलता है आम चुनाव अभियान 

उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद आम चुनाव अभियान जोरों पर होता है। इस चरण में पूरे देश में प्रचार अभियान तेज होता है, जिसमें उम्मीदवार रैलियों, बहसों, विज्ञापनों और सोशल मीडिया के माध्यम से अमेरिकी लोगों के सामने अपने मुद्दे रखते हैं।  सितंबर और अक्टूबर के बीच आयोजित होने वाली राष्ट्रपति पद की बहस अभियान एक महत्वपूर्ण क्षण होते हैं। इस साल ट्रंप और कमला ने 10 सितंबर को एबीसी न्यूज पर राष्ट्रपति पद की बहस की थी।

4. पांच नवंबर को अमेरिकी चुनाव  

हर बार नवंबर के पहले सोमवार के बाद पहले मंगलवार को ही अमेरिका में चुनाव होते हैं। इस दिन देश भर के मतदाता राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए अपने वोट डालते हैं। इस साल 5 नवंबर को वोटिंग होनी है। हालांकि, दूसरे लोकतांत्रिक देशों के विपरीत अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव सीधे लोकप्रिय वोट से नहीं होता है। इसमें इलेक्टोरल कॉलेज एक निर्णायक भूमिका निभाता है।जब लोग अपना वोट डालते हैं, तो वास्तव में वो एक ऐसी टीम को वोट करते हैं जिन्हें इलेक्टर (निर्वाचक) कहा जाता है। राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के पास इलेक्टर का अपना ग्रुप होता है (जिसे स्लेट के रूप में जाना जाता है)।

5. इलेक्टोरल कॉलेज (अंतिम चरण)

अमेरिकी इलेक्टोरल कॉलेज अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया का एक सबसे खास और कई बार विवादास्पद पहलू होता है। इसमें प्रत्येक राज्य को कांग्रेस में उसके प्रतिनिधित्व के आधार पर एक निश्चित संख्या में निर्वाचक आवंटित होते हैं। इसमें सीनेटरों की संख्या हमेशा दो और आबादी के अनुसार प्रतिनिधियों की संख्या शामिल होती है। कुल 538 निर्वाचक होते हैं और चुनाव के बाद यही निर्वाचक राष्ट्रपति  को चुनते हैं। जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल वोट मिलते है, वो जीता माना जाता है।चुनाव के बाद दिसंबर में इलेक्टर अपने-अपने राज्यों में अपने इलेक्टोरल वोट डालने के लिए मिलते हैं। फिर ये वोट कांग्रेस को भेजे जाते हैं, जहां जनवरी की शुरुआत में इनकी गिनती की जाती है। जिस उम्मीदवार को इलेक्टोरल वोटों का बहुमत मिलता है, उसे आधिकारिक तौर पर 20 जनवरी को अमेरिका का अगला राष्ट्रपति घोषित किया जाता है।

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