
अरावली की पहाड़ियों पर खनन को लेकर राजस्थान में इन दिनों जबरदस्त सियासी संग्राम छिड़ा है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया है और बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस अरावली मुद्दे को लेकर देश में जगह-जगह आंदोलन कर रही है। इसी बीच राजस्थान की सरकार ने प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए एमपी, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के मॉडल पर खान विभाग के अफसरों से रिपोर्ट मांगी है। इसके लिए अब खनन विभाग ने अपने अफसरों की तीन टीमों को इन राज्यों में भेजने की तैयारी कर ली है।
खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने बताया कि अध्ययन दल खनन से जुड़ी तकनीकी व्यवस्थाओं, नियमों, प्रक्रियाओं, अनुमतियों, अवैध खनन पर कार्रवाई की व्यवस्था और राजस्व वृद्धि के मॉडल का गहन अध्ययन कर राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में खनन क्षेत्र को अधिक पारदर्शी, प्रभावी और राजस्व उन्मुख बनाने के उद्देश्य से उड़ीसा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की खनन कार्यप्रणाली एवं बेस्ट प्रैक्टिसेज के अध्ययन का निर्णय लिया है। इसके तहत खान, भूविज्ञान एवं पेट्रोलियम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की तीन अलग-अलग टीमें इन राज्यों का दौरा करेंगी।
अवैध खनन के साथ प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन अनुमति पर भी देंगी रिपोर्ट
राज्य सरकार के खान विभाग के अफसरों की यह टीमें इन राज्यों का दौरा करने के बाद यहां के माइनिंग मॉडल पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगी। इसके तहत इन राज्यों में अवैध खनन की रोकथाम के प्रावधान, प्रतिबंधित क्षेत्रों में खनन की अनुमति की प्रक्रिया, खनन से जुड़े नियम, परिपत्र और पर्यावरण स्वीकृति की समय सीमा को लेकर किए जा रहे कामों को इस रिपोर्ट का हिस्सा बनाया जाएगा।
इन अफसरों की बनाई टीमें
उड़ीसा: राज्य सरकार की ओर से गठित इन टीमों में अधीक्षण खनि अभियंता, खनि अभियंता, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और लेखा सेवा के अधिकारी शामिल किए गए हैं। उड़ीसा अध्ययन दल में अधीक्षण खनि अभियंता उदयपुर शिव प्रकाश शर्मा, खनि अभियंता नागौर जेपी गोदारा, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक सुशील कुमार और एएओ राजेश गर्ग शामिल हैं।
मध्यप्रदेश: मध्यप्रदेश के लिए बनाई गई टीम में अधीक्षण खनि अभियंता डीपी गौड़, खनि अभियंता बिजौलिया प्रवीण अग्रवाल, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक महेश शर्मा और एएओ जयपुर पवन शर्मा को शामिल किया गया है।





