नए सत्र में प्रवेश के बाद गुरुवार सुबह हॉस्टल अलॉट हुए थे, आज से कक्षाएं शुरू होनी हैं। प्रबंधन ने शाम को परिवार की आय आठ लाख सालाना से अधिक बताकर बाहर निकाला है।
हरियाणा का इकलौता भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) एक बार फिर चर्चा में है। इस बार मामला पिछड़ा वर्ग के 11 विद्यार्थियों को बाहर निकालने का है। प्रवेश के बाद वीरवार सुबह ही ओबीसी वर्ग की 10 छात्राओं और एक छात्र को हॉस्टल अलॉट किया गया था। लेकिन, शाम सात बजे इन्हें हॉस्टल खाली कर संस्थान से बाहर निकाल दिया गया।
प्रबंधन ने इन विद्यार्थियों के प्रवेश रद्द करने की वजह परिवार की आय आठ लाख रुपये सालाना से अधिक बताई है। वहीं, प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए देर रात तक संपर्क करने की कोशिश करते रहे, लेकिन प्रबंधन ने फोन नहीं उठाया।
गुरुवार को आईआईएम में काउंसिलिंग थी। इसके लिए देश के विभिन्न राज्यों से विद्यार्थी पहुंचे थे। काउंसिलिंग के बाद विद्यार्थियों को प्रवेश मिल गया। मेरिट सूची में नाम दर्ज कराने वाले विद्यार्थियों ने फीस जमा करा दी थी। गुरुवार को इन्हें हॉस्टल भी अलॉट कर दिया गया। इसके कुछ घंटों बाद ही संस्थान के प्रबंधन ने ओबीसी वर्ग के 11 विद्यार्थियों को तुरंत हॉस्टल खाली कर घर जाने का आदेश दे दिया।
बताया गया कि उनका प्रवेश रद्द कर दिया गया है। अभिभावकों को जैसे ही सूचना मिली तो वे संस्थान पहुंचे। यहां उन्हें अपने बच्चे प्रवेश द्वार पर सिसकते मिले, पास में ही उनका सामान पड़ा था।
बताया गया कि क्रीमी लेयर के अंतर्गत परिवार की आय आठ लाख रुपये सालाना से अधिक होने की बात कहकर उनका प्रवेश रद्द किया गया है जबकि वे नॉन क्रीमी लेयर में आते हैं। अभिभावकों ने प्रबंधन से बात करने का काफी प्रयास किया, लेकिन देर रात तक न तो किसी ने बात की और न ही उनकी कहीं सुनवाई हुई। वे देर रात तक संस्थान के बाहर खड़े रहे। हालात बिगड़ते देख प्रबंधन ने सुरक्षा के लिहाज से वहां पुलिस बुला ली थी।
क्या कहना है अभिभावकों का
मेरी बेटी को ओबीसी कोटे से आईआईएम रोहतक में प्रवेश मिला है। सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। गुरुवार को हॉस्टल भी अलॉट हो गया था। शाम को अचानक बाहर निकाल दिया गया। प्रवेश रद्द करने का कारण लिखित या ईमेल जारी कर नहीं बताया गया है। प्रबंधन से कोई बात करने वाला भी नहीं आया है। -शैलेष कुमार, पटना।
गुरुवार को काउंसिलिंग थी, मैं बेटी के साथ आई थी। यहां उसकी फीस व अन्य दस्तावेज जमा हो चुके थे। सुबह हॉस्टल भी मिल गया था। इससे पहले ही प्रबंधन ने बेटी को हाॅस्टल खाली कर घर भेजने का फरमान सुना दिया। यह सुनकर आधे रास्ते से वापस आई हूं। बेटी का रो-रोकर बुरा हाल है। यहां कोई सुनने वाला भी नहीं है। -संगीता, महाराष्ट्र।
प्रबंधन ने ओबीसी के 11 बच्चों को बाहर निकाल दिया है। कहा गया है कि परिवार की आय 8 लाख रुपये सालाना है। हम सभी सरकारी कर्मचारी हैं। हम क्रीमीलेयर के दायरे से बाहर हैं। इसके बावजूद बच्चों के साथ अन्याय किया जा रहा है। यही नहीं, हमने अपने आय व अन्य सभी दस्तावेज आवेदन के साथ ही दे दिए थे। -सीके जयसवाल, लखनऊ, यूपी।
प्रबंधन ने फोन कर पुलिस बुलाई थी, वहां करीब 15-20 अभिभावक थे। उनके बच्चों के दाखिले का मामला है। फिलहाल बच्चों को अंदर भेज दिया गया है। प्रबंधन सुबह बात करेगा। -इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार, प्रभारी, शिवाजी कॉलोनी थाना रोहतक।
पल भर में बिखर गए सपने, रात भर नहीं थमे आंसू
आईआईएम से डिग्री लेकर अपना भविष्य संवारना था। कुछ अलग कर गुजरने का सपना देखा था। इसीलिए कड़ी मेहनत कर तैयारी की, परीक्षा में अच्छे अंक हासिल कर प्रवेश पाया। लेकिन, शुक्रवार से कक्षा शुरू होने से पहले ही प्रवेश रद्द हो गया। प्रबंधन के इस फैसलने ने पल भर में बच्चों के सपने चकनाचूर कर दिए। शाम से रात हो गई है, लेकिन बच्चों के आंसू नहीं थम रहे हैं। आईआईएम से प्रवेश रद्द होने के बाद ओबीसी वर्ग के 11 विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का बार-बार दर्द छलक रहा था।
पटना निवासी राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों ने आईआईएम में प्रवेश के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की थी। प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक हासिल किए। अब सबकुछ हो गया है तो प्रवेश ही रद्द किया जा रहा है, जबकि इस बारे में न तो लिखित में कोई कुछ देने को तैयार है और न ही ईमेल से। बच्चों का सामान रात के समय इस तरह बाहर फेंकना गलत है। हमारे दस्तावेज प्रबंधन के पास हैं। वे हमसे बात करते। कहीं कोई संशय है तो इसे दूर करते।
वहीं, महाराष्ट्र से आए राजेश का कहना है कि बेटी का सपना है कि आईआईएम से डिग्री लेकर अपना भविष्य संवारे। प्रवेश मिलने के बाद से सभी खुश थे। शुक्रवार से कक्षाएं शुरू होनी थी। शाम को अचानक सारी खुशियां छीन ली गईं। बेटी ने दाखिला रद्द होने की खबर दी तो होश उड़ गए। हम उसे सुबह ही यहां छोड़ने आए थे। हॉस्टल मिलने के बाद उसके रहने की चिंता दूर हो गई थी, लेकिन एक पल में सब बिखर गया।