आईआईटी का उपकरण बताएगा फसल बीमार है या नहीं, एक मिनट में देगा रिपोर्ट

आईआईटी ने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो फसल पकने के बाद खाद्यान्न की गुणवत्ता बस एक मिनट में बता देगा। यह खाद्यान्न भंडारित किया जा सकता या नहीं इसकी भी जानकारी देगा। खाद्यान्न में बीमारी पकड़ आने के बाद किसान उस बीज को दोबारा नहीं बोएंगे तो भविष्य में उनको नुकसान भी नहीं होगा, उपज भी बढ़ेगी। साथ ही खाद्यान्न में रेत या कंकड़ होने की भी जानकारी देगा।
अक्सर किसान किसी भी खाद्यान्न को हाथों में लेकर कान के पास बजाकर उसी आवाज सुनते हैं और खाद्यान्न की गुणवत्ता बता देते हैं। इसी तरह आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. तुषार संधान ने अपनी टीम के साथ एआई युक्त एग्रीग्नेन एनालाइजर विकसित किया है जो खाद्यान्न की आवाज सुनकर एक मिनट में गुणवत्ता बता देगा। यह उपकरण खाद्यान्न थोक विक्रेताओं के लिए भी उपयोगी होगा जो अनाज की गुणवत्ता की निगरानी कर सकेंगे। इससे उन्हें यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि अनाज भंडारण के लिए उपयुक्त है या तत्काल उपभोग के लिए बाजार में बेचा जाना है।
उपकरण में जीपीसएस ट्रैकिंग सुविधा भी है जो किसानों और खरीदारों को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि उन्हें कभी भी कहीं भी सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला खाद्यान्न मिल सके। प्रो. तुषार ने कहा कि जब खाद्यान्न में कीड़ा लगा होता है तो उपकरण में उसे डालने पर अलग तरह से आवाज आती है। अगर खाद्यान्न में बीमारी है और उसका इस्तेमाल बीज के रूप में होगा तो आने वाली फसल भी खराब हो जाएगी। इस एनालाइजर की मदद से अच्छे बीजों से रोपाई की जा सकेगी। इसके अलावा कई बार एक बोरी में अच्छी और खराब गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की मिलावट की जाती है, इस एनालाइजर से इसका भी पता लगाया जा सकेगा।
ऐसे काम करता है उपकरण
प्रो. तुषार ने बताया कि डिवाइस में खाद्यान्न के सैंपल अंदर लगी ब्रास की प्लेट पर गिरते हैं। गिरने की आवाज से समझ आएगा खाद्यान्न बीमारी से रहित या युक्त है। इसके बाद खाद्यान्न भीतर बने चैंबर में एकत्र होते हैं। चैंबर में दो तरह के कैमरे और एलईडी पैनल लगे हैं जिससे खाद्यान्न के आकार और वजन की जानकारी पता चलती है। एआई के संपर्क में आने से सारी डिटेल रिपोर्ट मिल जाती है। प्रो. तुषार ने कहा कि यह कॉम्पैक्ट और पोर्टेबल है। इस उपकरण की मदद से किसान और खरीदार यह विश्लेषण कर सकेंगे कि खाद्यान्न स्वस्थ हैं या नहीं। यह पौधों की बीमारियों को रोकने में मदद करेगा और पौधों में होने वाली किसी भी नई बीमारी का पता लगाने में भी मदद करेगा।