
दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आज ओम सनातन न्यास पहली बार सनातन संत सम्मेलन का आयोजन कर रहा। इसमें देशभर के संतों का समागम होगा, जहां वैश्विक पटल पर सनातन की विशेषता और उसके विकास पर गहन मंथन किया जाएगा। शुक्रवार को सेक्टर 31 स्थित यूपी के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल के निजी आवास पर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ओम सनातन न्यास के संरक्षक गोविंद देव गिरि पहुंचे। जहां नीरज रायजादा और लोकेश शर्मा, डॉली सिंघल ने उनका स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि सनातन सिर्फ राष्ट्र ही नहीं, बल्कि विश्व का गौरव है। वैश्विक सभ्यतागत संकटों का समाधान सनातन संस्कृति ही है। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति वैश्विक, समग्र, समावेशी, शाश्वत है। भारत से उत्पन्न कोई भी संप्रदाय या समुदाय सनातन संस्कृति का अंग है और उसकी जड़ें वेदों से हीं जुड़ी हैं। यहां इसके अलावा इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल की तरह कल्चरल एडवाइजरी काउंसिल की स्थापना पर भी मंथन किया जाएगा। आयोजन का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति के संरक्षण–संवर्धन तथा उसके गौरवपूर्ण, मूल्यनिष्ठ और अनंत इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना है, ताकि भारत के प्रत्येक सनातनी में अपने धर्म, समाज और संस्कृति के प्रति सच्ची श्रद्धा एवं संवेदनाएं जागृत हों। इस सम्मेलन में विश्वभर से ब्यूरोक्रेट्स, न्यायालयों के वरिष्ठ सदस्य, उद्योगपति, शिक्षाविद, समाजसेवी, धर्मनिष्ठ शोधकर्ता, वैज्ञानिक तथा प्रख्यात विचारक भी शामिल होंगे।
कार्यक्रम की विशिष्ट उपलब्धि के रूप में, एकल अभियान, भारत लोक शिक्षा परिषद् सहित 4 प्रमुख संस्थाओं को स्वामी गोविंद देव गिरी की अध्यक्षता में संतों द्वारा सनातन सम्मान से अलंकृत होगा। सम्मेलन में स्वामी गोविंद देव गिरी के अलावा काष्णी पीठाधीश्वर स्वामी गुरु शरणानंद, योगर्षि स्वामी रामदेव, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद, स्वामी चिदानंद सरस्वती, स्वामी उमेशनाथ, अखिल भारतीय संत मंडल के अध्यक्ष नारायण गिरी, जैनाचार्य लोकेश मुनि, बौद्ध संत संघ सेना, सरदार परमजीत सिंह चंडोक, जैन संत सौरभ सागर, महानिर्वाणी महंत रवींद्र पुरी समेत देशभर से 300 से अधिक प्रमुख संत मौजूद रहेंगे। दीपक सिंघल ने बताया कि उन्होंने पिछले तीन साल में वैश्विक सनातन के संदर्भ में लगभग 83 देशों की यात्रा करके विद्वानों संग मंथन किया है।
एआई की तरह एसआई करेंगे विकसित: भारतीय संस्कृति वैश्विक न्यास के चेयरमैन व यूपी के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने बताया कि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की तरह की एसआई (सनातन इंटेलिजेंस) को विकसित करेंगे। इसके प्रारूप को तैयार कर लिया है। एसआई की मदद से वास्तविक साक्ष्यों के आधार पर देश-दुनिया के लोग सनातन धर्म संस्कृति की जरूरी बातें सिर्फ जान ही नहीं सकेंगे, बल्कि युवा पीढ़ी सनातन की गहरी जड़ों, उसकी प्राचीनता और खासियत को भी समझ सकेंगे।
डिज्नी लैंड की तरह अत्याधुनिक धरोहर पार्क बनाने पर जोर : उन्होंने बताया कि एक ऐसा पार्क बनेगा, जहां आने वाली युवा पीढ़ी और छोटे बच्चों को अत्याधुनिक तकनीकियों से सनातन की पूरी यात्रा के बारे में समझाया जा सके। इसकी स्थापना के लिए वृंदावन जैसे स्थान पर मंथन किया जाएगा। विदेशी भी आकर उस पार्क में सनातन की धरोहर को समझ सकेंगे।
2026 में ग्लोबल सनातन सम्मेलन की रखी जाएगी नींव : मंथन के दौरान वर्ष 2026 में साक्ष्य के आधार पर वैश्विक सांस्कृतिक मानचित्र विकसित करते हुए विश्व के सनातन संस्कृति के ज्ञानी 108 धर्मगुरुओं, बुद्धिजीवियों, समाज के प्रबुद्ध वर्ग तथा 108 देशों से संपर्क स्थापित करके वर्ष 2026 में ग्लोबल सनातन सम्मेलन की नींव रखी जाएगी, ताकि एक ही छत के नीचे वैश्विक स्तर पर सनातन के प्रभाव और उसके इतिहास पर मंथन हो सके।
ध्वस्त हो चुकीं धार्मिक इमारतों के सुदृढ़ीकरण पर होगा मंथन : सेवानिवृत्त आईएस दीपक सिंघल ने बताया कि सनातन धर्म के विभिन्न आयाम हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख आदि के आंशिक रूप से ध्वस्त हो चुके पुराने मंदिर, विहार, स्तूप और गुरुद्वारों के पुननिर्माण व सुंदरीकरण कर उन्हें सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में विकसित करने पर मंथन करेंगे, ताकि वह केंद्र सिर्फ इतिहास तक सीमित न रह जाएं।




