आदिवासी समुदाय को सूदखोरों से बचाएगी सरकार

आर्थिक संकटों के कारण सूदखोरी के कुचक्र में फंसकर बर्बाद होने वाले आदिवासी समुदाय को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम- 1996 यानी पेसा अधिनियम में शामिल दस राज्यों में आदिवासी सूदखोरी में न फंसें, इसके लिए सुरक्षा कवच बनाने जा रही है।
यह कवच मजबूत कानून, उसे पालन कराने के लिए प्रतिबद्ध अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों का होगा। इस पर अमल कैसे किया जाएग, इसका रोडमैप तैयार कर मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय को सौंप दिया है। अब संबंधित राज्यों का प्रशिक्षण शुरू होने जा रहा है।आदिवासी बहुल राज्यों में आदिवासी समुदाय को संपत्ति, संस्कृति और वनोपजों पर अधिकार मिल सके, इसके लिए 1996 में पेसा अधिनियम बनाया गया।
निजी संस्था को नहीं मिलेगा ब्याज पर कर्ज
अटल बिहारी सरकार द्वारा बनाए गए इस अधिनियम में निर्धारित मानकों के आधार पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश को शामिल किया गया। पेसा अधिनियम में अधिसूचित राज्यों को सूदखोरी पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। उसी के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कानून है कि किसी निजी संस्था को ब्याज पर कर्ज देने का लाइसेंस ही नहीं दिया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश में कानून है कि ग्राम सभा द्वारा पांच सदस्यीय ऋण नियंत्रण समिति बनाई जाएगी। बैंक व कर्ज देने वाली संस्थाओं को निर्देश है कि सिर्फ इस समिति की उपस्थिति में ही कर्ज दिया जाएगा। झारखंड का कानून है कि कोई भी व्यक्ति कर्ज देने के बदले गहना या कोई वस्तु गिरवीं नहीं रख सकता। इस तरह के अलग-अलग कानून होते हुए भी आदिवासी फंस इसलिए रहे हैं, क्योंकि न सिर्फ आदिवासी समुदाय, बल्कि इन क्षेत्रों के पंचायत प्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी तक इससे संबंधित कानूनों से अनभिज्ञ हैं। सूदखोरों की कड़ी निगरानी को तंत्र सक्रिय नहीं है। इसे देखते हुए ही केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय ने सूदखोरी प्रथा रोकने के लिए अध्ययन कर एक ट्रे¨नग माड्यूल बनाने का जिम्मा मध्य प्रदेश को सौंपा।
केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा ट्रेनिंग मॉड्यूल
उसके साथ झारखंड को सहयोगी राज्य बनाया गया। गत दिवस मध्य प्रदेश सरकार की ओर से वह ट्रेनिंग माड्यूल केंद्र सरकार को सौंप दिया गया। मध्य प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री प्रल्हाद पटेल ने बताया कि कई राज्यों के कानूनों का भी अध्ययन किया है।
सारे निष्कर्षों के आधार पर ट्रे¨नग माड्यूल बनाया है। इसमें सूदखोरी पर लगाम कसने के लिए सभी राज्यों द्वारा मजबूत कानून, ब्याज के इस काम को विधिवत बनाने के लिए लाइसेंसी व्यवस्था को मजबूत करने, कर्ज लेने वाले आदिवासी और कर्जदाता के बीच ग्राम पंचायत, ग्राम सभा और प्रशासन के संबंधित अधिकारियों की भूमिका को सक्रिय करते हुए उत्पीड़न से बचाने की व्यवस्था जैसे उपायों को सुझाया गया है। उन्होंने बताया कि हम सभी राज्यों के लिए अक्टूबर में प्रशिक्षण शुरू करने जा रहे हैं। वहां के पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा। वह अपने-अपने राज्यों में संबंधित सभी पंचायत प्रतिनिधियों, अधिकारियों और आदिवासी समुदाय को प्रशिक्षित करेंगे।