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आईएमएस बीएचयू के बाल सर्जरी विभाग में मेसोरेक्स बाईपास सर्जरी की शुरुआत हुई है। लीवर की नसों में रुकावट की समस्या से पीड़ित बच्चों के इलाज की राह आसान होगी। चिकित्सकीय भाषा में एक्स्ट्राहेपेटिक पोर्टल वेन ऑब्स्ट्रक्शन (ईएचपीवीओ) कहा जाता है। पिछले एक महीने में दो बच्चों की सर्जरी की गई है। अब तक सुविधा न होने से दिल्ली, लखनऊ जाना पड़ता था। निजी अस्पताल में 4 से 5 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि बीएचयू में 15-20 हजार में ही सर्जरी हो रही है।
बाल सर्जरी विभाग के डॉ. वैभव पांडेय ने बताया कि पिछले एक महीने में दो बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। पिछले महीने बिहार निवासी 11 वर्षीय बच्ची और 9 वर्षीय बच्चे की सर्जरी की गई। दोनों स्वस्थ हैं। सर्जरी में संबंधित मरीज के गर्दन से नस का एक भाग काटकर ग्राफ्ट के रूप में इस्तेमाल कर उसके एक हिस्से को लीवर और दूसरे हिस्से को आंतों की नसों में जोड़ा जाता है।
कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के डॉ. अरविंद पांडेय का कहना है कि मेसो रेक्स बाईपास सर्जरी से बच्चे को होने वाली समस्या से छुटकारा मिल जाता है। एमएस प्रो. केके गुप्ता ने इस तरह की सर्जरी को पूर्वांचल से आने वाले मरीजों के लिए वरदान बताया।
क्या है ईएचपीवीओ
ईएचपीवीओ एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंतों से लीवर में खून ले जाने वाली शिरा अवरुद्ध हो जाती है, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न होती हैं। इसमें अचानक और जानलेवा रक्तस्राव भी शामिल है। बीएचयू गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवेश कुमार यादव का कहना है कि इनमें से कई बच्चे खून की उल्टी की समस्या के साथ आते हैं, जो कई मामलों में घातक हो सकती है।
आठ से दस घंटे तक चलती है सर्जरी
बाल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. वैभव पांडेय ने बताया कि मेसो रेक्स बाईपास सर्जरी में 8 से 10 घंटे का समय लगता है। एक महीने में हुई दोनों सर्जरी में एनीस्थीसिया विभाग के प्रो. आरबी सिंह के साथ ही प्रो. विक्रम गुप्ता और डॉ. संजीव सहित अन्य लोगों ने महत्वपूर्ण निभाई। इस तरह की जटिल सर्जरी के दौरान कई तरह के जोखिम होते हैं। इनके प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय कौशल की जरूरत है।