राजस्थानराज्य

आरटीडीसी के निजीकरण का विरोध, पूर्व चेयरमैन राठौड़ बोले- यह सरकारी संपत्तियों को बेचने का प्रयास

आरटीडीसी इकाइयों के निजीकरण को लेकर पूर्व चेयरमैन और कांग्रेस नेता रामेश्वरलाल राठौड़ ने इस निर्णय को सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने का कुत्सित प्रयास करार दिया है।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम की इकाइयों को निजी हाथों में सौंपने की राज्य सरकार की हालिया योजना का विरोध शुरू हो गया है। पूर्व चेयरमैन और कांग्रेस नेता रामेश्वरलाल राठौड़ ने इस निर्णय को सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने का कुत्सित प्रयास करार दिया है।

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की पर्यटन पहचान और सांस्कृतिक गरिमा को संरक्षित रखने के लिए आरटीडीसी की स्थापना की गई थी, जो लंबे समय से राज्य में पर्यटन सेवाएं जैसे आवास, भोजन, परिवहन और अन्य सुविधाएं प्रदान करता आ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार द्वारा घोषित पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत संचालन की बजाय, अब इकाइयों को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, जो कि जनहित के विरुद्ध है।

राठौड़ ने सवाल किया कि जब आरटीडीसी की इकाइयों का संचालन वर्षों तक सफलतापूर्वक सरकारी नियंत्रण में होता रहा है, तो अब सरकार खुद इसका संचालन क्यों नहीं कर सकती? उन्होंने कहा कि सरकारी संचालन पारदर्शिता, जवाबदेही और जनसामान्य की पहुंच सुनिश्चित करता है, जबकि निजीकरण से सेवाओं में कटौती, शुल्क वृद्धि और आम नागरिकों की पहुंच में बाधा जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

पूर्व चेयरमैन ने कहा कि आरटीडीसी की संपत्तियां न केवल आर्थिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी राज्य की धरोहर हैं। इनका संरक्षण और संवर्धन सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि निजीकरण से राजस्थान पर्यटन की वैश्विक छवि प्रभावित हो सकती है। राठौड़ ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की है कि आरटीडीसी की सभी इकाइयों का संचालन पूर्ववत राज्य सरकार द्वारा ही किया जाए और इन संस्थानों में नवाचार एवं सुधार की प्रक्रिया को बढ़ावा दिया जाए, जिससे पर्यटन की गुणवत्ता और पहुंच दोनों में सुधार हो सके।

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