इंडोनेशिया के सबसे बड़े इस्लामी संगठन ने दिया भारत को समर्थन

इंडोनेशिया के इस्लामी संगठन नाहदतुल उलमा ने भारत के दर्द को समझते हुए आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और शांति की पैरवी की। संगठन के अध्यक्ष अब्दल्ला ने कहा कि धर्म के नाम पर हिंसा खतरनाक है और इसके सबसे बड़े शिकार खुद मुसलमान हैं।
इंडोनेशिया के सबसे बड़े इस्लामी संगठन नाहदतुल उलमा के कार्यकारी बोर्ड अध्यक्ष के. एच. उलिल अब्शार अब्दल्ला ने भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ने और शांति को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा, भारत और इंडोनेशिया दोनों आतंकवाद जैसी चुनौती से गुजरे हैं। हमने भारत के साथ चरमपंथ से निपटने का अनुभव साझा किया। दोनों देशों की आर्थिक विकास, राजनीतिक स्थिरता और शांति की एक जैसी आकांक्षाएं हैं।
अब्दल्ला ने चेताया कि अगर धर्म का इस्तेमाल हिंसा को जायज ठहराने के लिए किया जाए, तो यह बहुत खतरनाक होता है। उन्होंने कहा, कुछ समूह इस्लाम के नाम पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं, जो गलत है, क्योंकि इस्लाम शांति का धर्म है। आतंकवाद के सबसे बड़े शिकार खुद मुसलमान हैं, इसलिए इस खतरे को खत्म करने की सबसे पहली जिम्मेदारी भी मुसलमानों की ही बनती है।
उन्होंने भारतीय सांसदों से कहा कि इंडोनेशिया के इतिहास की गहराई में भारतीय सभ्यता की छाप है, इसलिए दोनों देशों को लोगों के स्तर पर भी सहयोग करना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे जदयू सांसद संजय कुमार झा ने अब्दल्ला की बातों को भारत के लिए सहानुभूतिपूर्ण बताया। झा ने कहा कि अब्दल्ला ने ओआईसी (इस्लामिक देशों के संगठन) में भारत के मुद्दों पर समर्थन देने का भरोसा जताया। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान की तुलना में भारत में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। फिर भी पाकिस्तान ओआईसी में भारत के खिलाफ प्रस्ताव लाने की कोशिश करता है।
पाहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए झा ने कहा कि आतंकियों ने बेगुनाहों को उनके धर्म के आधार पर मारने की कोशिश की, जिसका मकसद देश की सांप्रदायिक एकता को नुकसान पहुंचाना था।
प्रतिनिधिमंडल ने इंडोनेशिया की नेशनल मंडेट पार्टी और कई प्रमुख थिंक टैंक व शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों से भी मुलाकात की। भारतीय सांसदों ने आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया, जिसे इंडोनेशियाई नेताओं ने भी स्वीकार किया और भारत को पूरा समर्थन देने की बात कही।
जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, इस दौरे का उद्देश्य भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठे प्रचार का मुकाबला करना और भारत की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को वैश्विक मंचों पर स्पष्ट करना है। प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद शामिल हैं, जिनमें भाजपा की अपराजिता सारंगी, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के अभिषेक बनर्जी, माकपा के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और अन्य नेता शामिल हैं।