इंदौर के छात्रों को मिलेगा वन संरक्षण का ज्ञान, कॉलेजों में शुरू होंगे कोर्स

इंदौर में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ी पहल होने जा रही है। साल के अंत तक इंदौर विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों के विद्यार्थियों को जंगल, पेड़-पौधे, दुर्लभ और विलुप्त होती वनस्पतियों के साथ-साथ वन संपदा और जंगल प्रबंधन की पढ़ाई कराई जाएगी। राज्य स्तरीय एजुकेशनल कमेटी ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
आरईटी संरक्षण मॉडल का होगा अध्ययन
इंदौर डीएफओ प्रदीप मिश्रा के अनुसार दुर्लभ, संकटग्रस्त और विलुप्त होती वन प्रजातियों के संरक्षण से जुड़े आरईटी संरक्षण मॉडल को अब कॉलेज स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके लिए वन विभाग और देवी अहिलाबाई विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों के वरिष्ठ अधिकारी और प्रोफेसरों द्वारा लंबे समय से प्रयास किए जा रहे थे।
युवाओं को छात्र जीवन से प्रकृति से जोड़ने की पहल
इंदौर वन मंडल ने इस वर्ष आरईटी संरक्षण मॉडल की शुरुआत की है। इस मॉडल का उद्देश्य उन वनस्पतियों का संरक्षण और पुनर्जीवन करना है, जो पारिस्थितिकी असंतुलन और मानव निर्मित दबाव के कारण धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं। इसके माध्यम से युवाओं को छात्र जीवन से ही जंगल और पर्यावरण से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
समाज और संस्थाओं की भागीदारी पर जोर
वन विभाग का मानना है कि वन्यजीवन और वन संपदा की रक्षा केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग की सहभागिता आवश्यक है। इसी उद्देश्य से शैक्षणिक संस्थानों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है ताकि विद्यार्थियों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़े।
प्रशिक्षण, शोध और नर्सरी विकास का प्रस्ताव
डीएफओ इंदौर के मार्गदर्शन में विकसित आरईटी संरक्षण मॉडल से इस वर्ष होलकर कॉलेज, पुलिस प्रशासन सहित कई संस्थाएं जुड़ चुकी हैं। वन विभाग और विश्वविद्यालय ने मिलकर वन प्रबंधन से जुड़े कोर्स, प्रशिक्षण कार्यक्रम, शोध अनुसंधान और नर्सरी विकास से संबंधित प्रस्ताव भी तैयार किया है।




