मध्यप्रदेशराज्य

इंदौर में मेट्रो ट्रेन कल से चलेगी -एक बार में 900 से ज्यादा यात्री कर सकेंगे सफर

31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका भोपाल से वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन के बाद पहले सप्ताह तक यात्री मुफ्त में सफर कर सकेंगे। मेट्रो इंदौर में गांधी नगर से शुरुआती पांच स्टेशन पर चलेगी।

मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक दिन बाद मेट्रो ट्रेन चलने को तैयार है। लोक परिवहन की दिशा में यह बड़ा कदम होगा, हालांकि अभी छह किलोमीटर हिस्से में ही मेट्रो ट्रेन चलेगी। 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका भोपाल से वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन के बाद पहले सप्ताह तक यात्री मुफ्त में सफर कर सकेंगे। मेट्रो इंदौर में गांधी नगर से शुरुआती पांच स्टेशन पर चलेगी।एक बार में 980 से ज्यादा यात्री कर सकेंगे।

शुरुआत में मेट्रो के चार से पांच सेट चलाए जाएंगे। एक सेट में तीन कोच (डिब्बे) रहेंगे। मेट्रो ट्रेन के एक स्टेशन पर रुकने का समय दो मिनट होगा। प्रत्येक स्टेशन की दूरी दो से तीन मिनट में पूरी होगी। दो स्टेशनों के बीच का किराया 20 रुपए होगा।

सभी कोच स्टेनलेस स्टील के है। मेट्रो कोच सफेद और पीले रंग के लुक में बनाए गए हैं। सभी डिब्बे स्टेनलेस स्टील से बने हैं। पहले और तीसरे कोच के आगे का हिस्सा इंजन की तरह भी काम करेगा, जबकि बीच का कोच ट्रेलर कार है। अभी मेट्रो को लोको पायलेट चलाएंगे। बाद में इसका संचालन ऑटोमैटिक होगा।

तीन कोच की रहेगी एक ट्रेन
इंदौर में इस तरह के कुल 75 कोच आएंगे। शुरुआत में तीन-तीन कोच की 25 ट्रेन चलाई जाएगी। शहर में चार रूट पर मेट्रो चलाई जानी है। एक रूट एयरपोर्ट से गांधी नगर, रेडिसन चौराहा, पलासिया और बंगाली होते हुए एयरपोर्ट तक रहेगा। वर्तमान में इसी रूट के छह किमी हिस्से में गांधीनगर से सुपर कॉरिडोर स्टेशन नंबर 3 तक का कमर्शियल रन किया जा रहा है।

कोच में आमने-सामने की बैठक व्यवस्था
हर कोच में आमने-सामने की लम्बी सीटें हैं। इन सीटों पर 45 से ज्यादा यात्री बैठ सकेंगे। हर कोच के दरवाजे स्वचलित है। करीब 350 लोग यात्रा कर सकेंगे। बीच वाले हिस्से और दरवाजे तक पर्याप्त जगह है, जहां 300 से ज्यादा यात्री खड़े हो सकेंगे। कोच में यात्रियों के मोबाइल चार्जिंग के लिए पर्याप्त पॉइंट हैं।

67 मीटर लंबी है एक ट्रेन
तीनों कोच को जोड़ने के बाद एक ट्रेन बनती है, जिसकी लम्बाई 67 मीटर है। जब ट्रेन एक छोर से शुरू होगी और आखिरी स्टेशन तक जाएगी तो फिर सबसे आखिरी कोच से यह शुरू होगी। इस तरह पहला और आखिरी कोच ड्राइविंग पार्ट के रूप में भी काम करेगा। यह 80 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलेगी।

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