उत्तरप्रदेशराज्य

इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के एलएलबी छात्र कक्षा में प्रोन्‍नति की कर रहे मांग, पुलिस की हिरासत में है ये दो छात्रनेता

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक सप्‍ताह से जारी एलएलबी के छात्रों के आंदोलन पर अब पुलिस ने सख्ती शुरू कर दी है। छात्र आंदोलन की अगुआई कर रहे दो छात्रनेताओं को पुलिस ने सोमवार की सुबह पांच बजे ही हास्टल से उठा लिया। इनमें सत्यम कुशवाहा और आदर्श भदौरिया हैं। हिरासत में लेकर उन्‍हें पुलिस की निगरानी में रखा गया है। दूसरी ओर आंदोलन के तहत धरनास्थल पर चार-पांच छात्र आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। उनके समर्थन में छात्र परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पहुंच रहे हैं। वहां पुलिस पहले से ही तैनात है।

एलएलबी प्रथव व चतुर्थ सेमेस्‍टर के छात्र प्रोन्‍नति की कर रहे मांग : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एलएलबी (विधि) के प्रथम और चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र प्रोन्नत करने और सात जुलाई से प्रस्तावित परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। इसी विरोध के चलते छात्र इन दिनों विश्‍वविद्यालय परिसर में पिछले सोमवार से आंदोलन, धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन कर रहे हैं।

7 जुलाई से होनी है एलएलबी की परीक्षाएं : दूसरी ओर इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन एलएलबी की परीक्षा सात जुलाई से ही कराने की तैयारी में जुटा हुआ है। वह छात्रों की मांगों को नजरअंदाज कर रहा है। इससे विश्‍वविद्यालय प्रशासन और छात्र आमने-सामन आ गए हैं। हालांकि छात्रों को समझाने का भी पूर्व में विश्‍वविद्यालय प्रशासन कोशिश कर चुका है।

छात्रों ने परीक्षा का विकल्‍प संबंधी ज्ञापन सौंपा था : इसी को लेकर शनिवार को छात्रों ने ओपन बुक प्रणाली या असाइनमेंट आधारित परीक्षा कराने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था। इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने इस प्रकरण को परीक्षा समिति के हवाले कर दिया था।सोमवार को इस संबंध में बैठक भी होनी है। इस पूरे प्रकरण को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं छात्र आक्रोशित हैं।

छात्र आंदोलन को लेकर पुलिस सख्‍त : छात्रों की अगुआई कर रहे दो छात्र नेताओं सत्यम कुशवाहा और आदर्श भदौरिया को पुलिस ने हास्टल से उठा लिया है। ऐसे में साफ है कि एक सप्ताह से नरमी बरत रही पुलिस अब सख्ती के मूड में है। वहीं दूसरी ओर विधि छात्र अधूरी पढ़ाई और सात जुलाई से होने वाली परीक्षा को लेकर हाई कोर्ट की शरण में चले गए हैं। ऐसे में अब छात्रों की संख्या भी कम होती जा रही है।

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