उत्तरप्रदेशराज्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश- पत्नी को बदचलन साबित करने के लिए बच्चों का नहीं करा सकते डीएनए टेस्ट

बेटियों को गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ दाखिल अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी को चरित्रहीन साबित करने के लिए बच्चों का डीएनए टेस्ट नहीं करा सकते।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को बदचलन साबित करने के लिए बेटियों के डीएनए टेस्ट की मांग करने वाले डॉक्टर पति को जोर का झटका दिया है। बेटियों को गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ दाखिल अर्जी खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी को चरित्रहीन साबित करने के लिए बच्चों का डीएनए टेस्ट नहीं करा सकते। डीएनए टेस्ट भरण पोषण से बचने का हथियार नहीं है।

न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी की अदालत ने कासगंज निवासी डॉ. इफराक उर्फ मोहम्मद इफराक हुसैन की याचिका निरस्त करते हुए यह तल्ख टिप्पणी की। थाना गंजडुंडवारा क्षेत्र के डॉ. इफराक का शाजिया परवीन से 12 नवंबर 2013 को निकाह हुआ था। करीब चार साल दोनों के बीच संबंध ठीक-ठाक चले।

इस बीच उन्हें दो बेटियां हुईं। 2017 में रिश्तों में दरार आ गई। शाजिया अपने मायके आ गई। इस बीच, शाजिया ने गुजारा भत्ता की मांग को लेकर ग्राम न्यायालय पटियाली में वाद दाखिल किया। पति ने आपत्ति करते हुए पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगा दिया। आरोप को सिद्ध करने के लिए उसने अपनी दोनों बेटियों का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की।

कोर्ट ने कहा…
डीएनए टेस्ट भरण पोषण से बचने का हथियार नहीं है। डीएनए जांच बच्चों के हित में की जानी चाहिए, न कि माता-पिता के। मां को व्यभिचारी सिद्ध करने के लिए उसके बच्चों को मोहरा नहीं बनाया जा सकता।

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