इस कथा के बिना अधूरी है चित्रगुप्त पूजा
हिंदू धर्म में चित्रगुप्त पूजा को बेहद खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो लोग श्रद्धा के साथ चित्रगुप्त जी की पूजा करते हैं उन्हें कभी न समाप्त होने वाला ज्ञान और मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन की पूजा तभी पूर्ण मानी जाती है जब भगवान श्री चित्रगुप्त जी की कथा (Chitragupta Katha) का पाठ किया जाए तो चलिए यहां पढ़ते हैं।
चित्रगुप्त पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से कायस्थ समुदाय में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह दिन रविवार 3 नवंबर, 2024 यानी आज मनाया जा रहा है। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भव्यता के साथ मनाया जाना जाता है। इस दिन चित्रगुप्त जी की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी पूजा करने से जीवन के सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
वहीं, इस दिन पूजा के दौरान चित्रगुप्त कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी रहती है, तो आइए यहां पर इस चमत्कारी कथा (Chitragupta Puja 2024) का पाठ करते हैं, जो इस प्रकार है।
भगवान चित्रगुप्त की कथा (Chitragupta Ki Katha In Hindi)
भगवान चित्रगुप्त की कई कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है एक नगर में सौदास नाम का राजा राज करता था। वह बड़ा ही क्रूर था और सभी को परेशान करता था। राजा के अत्याचार से सभी नगर के लोग बहुत दुखी थे। एक दिन वो अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था। उसी समय उसका सामना अपने राज्य के एक ब्राह्मण से हुआ। ब्राह्मण उस समय पूजा कर रहा था। ब्राह्मण को पूजा करता देख राजा के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि ‘वो किस भगवान की उपासना कर रहा है?’ उसने ब्राह्मण से जाकर पूछा कि ‘आप किस भगवान की पूजा कर रहे हैं?’ उस पर ब्राह्मण ने राजा को जवाब दिया और कहा कि ‘आज कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है।
इस कारण मैं आज के दिन धर्म के देवता यमराज के लेख पाल चित्रगुप्त जी की आराधना कर रहा हूं। इस पूजा को करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।’ ब्राह्मण की बात सुनकर सौदास ने भी चित्रगुप्त जी की पूजा-अर्चना शुरू कर दी।
राजा को मृत्यु के बाद यमराज के पास ले जाया गया। उस समय भगवान चित्रगुप्त ने उस राजा के कर्मों की सारी जांच की। तब चित्रगुप्त ने यमराज को सारी बात बताई कि ‘इस राजा ने भले ही कितने पाप किए हैं, लेकिन इसने पूरे सच्चे मन से यम और चित्रगुप्त जी की पूजा की है। इस कारण इस राजा को नरक नहीं भेजा जा सकता है।’
इस तरह से चित्रगुप्त की पूजा करने से राजा को सभी पापों से मुक्ति मिल गई और स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि इस कथा का पाठ करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत का शुभ फल प्राप्त होता है।