कर्नाटक में आने वाले समय में होने वाले विधानसभा चुनाव से ही 2024 के आम चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो जाएगा। कर्नाटक के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव होंगे। इन चार राज्यों में लोकसभा की 93 सीटें हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 86 और 2014 में 79 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस सियासी सरगर्मी के साथ ही महाराष्ट्र की राजनीति में भी उठापटक चल रही है। इसके अलावा बिहार में भी नीतीश कुमार के भाजपा गठबंधन से अलग होने के बाद राजनीति बहुत गरम है। ये दोनों ही राज्य ऐसे हैं जहां भाजपा का पुराना गठबंधन टूट चुका है। 2024 के चुनाव में इन राज्यों की भी बड़ी भूमिका होने वाली है।
भाजपा के लिए क्यों अहम हैं बिहार और महाराष्ट्र
इन दो राज्यों में कुल 88 लोकसभा सीटें हैं। साल 2014 और 2019 में क्रमशः भाजपा ने 45 और 40 सीटें जीती थीं। वहीं बात करें गठबंधन की तो एनडीए ने दो राज्यों में 2019 में 80 सीटें जीतीं। इन संख्याओं से ही पता चल जाता है कि दोनों ही राज्य भाजपा के लिए कितना मायने रखते हैं। 2019 में भाजपा ने अकेले ही 303 सीटें जीती थीं। लेकिन अगर इन दोनों राज्यों की जीती हुई सीटें हटा दी जाएं तो भाजपा बहुमत के आंकड़े से नीचे आ जाए।
बिहार और महाराष्ट्र में क्या हुआ
2019 में महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद शिवसेना ने गठबंधन तोड़ लिया था। इसके चलते भाजपा सरकार नहीं बना पाई। वहीं शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस का साथ लेकर सरकार बना ली। इसके बाद 2022 में भाजपा ने शिवसेना को ही तोड़ लिया और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने। बाद में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया। बात करें बिहार की तो विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिए। बाद में गठबंधन में छोटे सहयोगी रहने के बावजूद नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गाय। लेकिन 2022 में उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ आरजेडी का साथ पकड़ा और दूसरी सरकार बना लगी। अब उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू से विदा ले ली है जिसके बाद कयास लग रहे हैं कि जेडीयू में भी सब कुछ ठीक नहीं है। अगर बिहार और महाराष्ट्र में भाजपा और गैर भाजपा के बीच वोट बंट जाता है तो 2014 और 2019 की तरह भाजपा कमाल नहीं कर पाएगी।