इस वजह से प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए ऋषि सुनक
भारतीय मूल के ऋषि सुनक को बड़े अंतर से हराकर लिज ट्रस ने प्रधानमंत्री का चुनाव जीत लिया है। ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। वहीं आखिरी चरण तक रेस में आगे चल रहे ऋषि सुनक 21 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गए। आखिरी राउंड के बारे में सर्वे भी यही बता रहे थे कि लिज ट्रस बढ़त बनाने वाली हैं। हालांकि सोचने वाली बात है कि पहले पांच राउंड में आगे रहने वाले सुनक आखिर फाइनल राउंड में मात कैसे खा गए। जानकारों के मुताबिक इसके पीछे पांच अहम कारण हैं।
पत्नी अक्ष की संपत्ति और टैक्स की बचत
ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा उनकी पत्नी की संपत्ति बन गई। सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति भारत के बड़े उद्योगपति और इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति बेटी हैं। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक सुनक के पास 840 मिलियन डॉलर की संपत्ति थी जिसके बारे में उन्होंने बताया था। वह यूके के सबसे अमीर सांसद थे। अक्षता से शादी करने के बाद उनकी संपत्ति तेजी से बढ़ी क्योंकि अक्षता इन्फोसिस में 0.93 प्रतिशत की शेयर होल्डर हैं और इसकी कीमत 794 मिलियन डॉलर है।
रिपोर्ट में कहा गया था कि अक्षता ब्रिटेन की महारानी एलजाबेथ द्वितीय से भी ज्यादा अमीर हैं। परिवार के आईटी बिजनस से होने वाली कमाई में टैक्स की बात की गई तो विवाद खड़ा हो गया। अंततः अक्षता टैक्स देने को तैयार हो गईं लेकिन तब तक सुनक को नुकसान हो चुका था।
टैक्स कटौती का संकल्प
ऋषि सुनक के एक पॉलिसी डिसिजन ने ट्रस का रास्ता आसान कर दिया। सुनक ने टैक्स में कटौती करने का ऐलान कर दिया था। हालांकि ट्रस का कहना था कि टैक्स कम करने से अर्थव्यवस्ता को नुकसान पहुंच सकता है। इसके बाद कंटरवेटिव वोट ट्रस की ओर शिफ्ट होने लगे। सुनक ने ऐलान किया था कि अगर वह सत्ता में आए तो इनकम टैक्स घटाकर 20 फीसदी कर देंगे। उन्होंने वादा किया था कि 2024 में एक फीसदी और बाकी तीन फीसदी टैक्स कट 2029 में लागू किया जाएगा।
ग्रीन कार्ड का विवाद
पत्नी अक्षता के टैक्स मामले से बाहर निकलते ही सुनक दूसरे विवाद में घिर गए। उनके बारे में कहा गया कि अमेरिका से वापस आने के बाद भी उनके पास वहां का ग्रीन कार्ड है। इसके बाद टोरी के सदस्यों ने भी सवाल उठाए कि क्या वह यूके के प्रति गंभीर हैं या नहीं। एक सीनियर नेता ने कहा कि सुनक का ग्रीन कार्ड यही बताता हैकि वह दूसरा रास्ता भी खुला रखना चाहते हैं. इसका मतलब वह यूके के हितों के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं।