तहसीलदार यदि रिपोर्ट करता है कि शहरी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी के व्यक्तियों के नाम पर घरबाड़ी भूमि अब खेती योग्य नहीं, आवासीय उद्देश्य में उपयोगी है, तो इसकी बिक्री पर कोई और प्रतिबंध नहीं होगा।
सब-रजिस्टार अब इस संबंध में मना नहीं कर सकते। एससी-एसटी वर्ग का व्यक्ति अन्य वर्ग के व्यक्ति को घरबाड़ी जमीन के क्षेत्र में ओडिशा भूमि सुधार अधिनियम 1960 की धारा 22 में रहने वाले प्रावधान लागू नहीं होगा, दर्शाते हुए दायर मामले में उड़ीसा हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण राय दी है।
क्या बोला हाईकोर्ट
उच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसी भूमि केवल शहरी क्षेत्र में शामिल हो जाने से धारा 22 लगाने से मुक्त नहीं हो पाएंगी। इसके लिए अधिकृत राजस्व प्राधिकरण को जमीन के संबंध में एक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी कि यह जमीन किस उद्देश्य के लिए व्यवहार उपयोगी है।
संबलपुर नगरपालिका में घरबाड़ी भूमि के मुद्दे पर सभी मामले दर्ज किए गए हैं, संबंधित क्षेत्र के अधिकृत राजस्व प्राधिकरण या तहसीलदार को भूमि की उपयोगिता के मुद्दे पर अपनी राय देने के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है।
मार्ग प्रशस्त करेंगे तहसीलदार: आवासयोग्य होने की देंगे रिपोर्ट
आवेदक तहसीलदार से इसके लिए अनुरोध करेंगे। इसके बाद तहसीलदार प्रत्येक भूमि की उपयोगिता के संदर्भ में 60 दिनों के अंदर अपनी राय देंगे कि वर्तमान स्थिति में, जमीन कृषि उद्देश्य में व्यवहार उपोयगी है या नहीं।
राजस्व अधिकारियों की राय के आधार पर, आवेदक फिर से भूमि बिक्री विलेख के पंजीकरण के लिए पंजीकरण अधिकारी से संपर्क कर सकता है। हाईकोट के न्यायमूर्ति बीपी राउतराय की खंडपीठ ने हेमंत नायक और 60 अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद यदि तहसीलदार की रिपोर्ट में यह स्पष्ट हो जाता है कि शहरी क्षेत्रों में घरबाड़ी की जमीन अब कृषि के लिए उपयोग करने योग्य नहीं बल्कि आवासीय उद्देश्य के लिए उपयोग करने योग्य है, तो राजस्व प्राधिकरण की पूर्व अनुमति के बिना एससी या एसटी वर्ग का भूस्वामी अपनी जमीन किसी अन्य वर्ग के व्यक्ति को बेच सकता है और सब-रेजिस्टार अब ऐसा करने से इनकार नहीं कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
मामले के विवरण से पता चला है कि एसटी श्रेणी से संबंधित याचिकाकर्ता ने संबलपुर नगरपालिका में घरबाड़ी भूमि को एक सामान्य श्रेणी के व्यक्ति को बेचने का फैसला किया था।
बिक्री विलेख उप-पंजीयक कार्यालय में प्रस्तुत किया गया। लेकिन 30 मई, 2023 को सब-रजिस्ट्रार ने बिक्री विलेख को पंजीकृत करने से इनकार कर दिया।
क्योंकि उसके लिए राजस्व प्राधिकरण की अनुमति नहीं थी। इस आदेश के खिलाफ अधिकारियों के समक्ष याचिकाकर्ता द्वारा दायर अपील 16 अगस्त, 2023 को खारिज कर दी गई थी । इसके बाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।