उत्तरप्रदेश : साइबर ठगी से पूरे करते थे शौक, दुबई में निवेश की जाती थी रकम

साइबर थाना, साइबर सेल और पीजीआई थाने की संयुक्त टीम की गिरफ्त में आए साइबर ठगी गिरोह के सदस्य पूरी तरह से इस धंधे में डूबे थे। पुलिस के अनुसार आरोपी ठगी की रकम से अपने शौक पूरा करते थे। पूरा गिरोह साइबर क्राइम के अलावा दूसरा कोई काम नहीं करता था।
ठगी की रकम को गिरोह दुबई में निवेश करता था। सरगना जालसाजों को उनके कमीशन देता था। पुलिस आरोपियों का आपराधिक इतिहास पता लगा रही है। आरोपियों के खिलाफ पीजीआई थाने में केस दर्ज कराया गया है।
एक स्थान पर ज्यादा दिन नहीं सकते थे: डीसीपी ने चताया कि गिरोह एक स्थान पर ज्यादा दिन नहीं ठहरता था। एक शहर में करोड़ों की ठगी करने के बाद ये अपना ठिकाना बदल लेते थे। इसके साथ ही ठगी में इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड, मोबाइल फोन और लैपटॉप को नष्ट कर देते थे। अलग अलग ठिकानों पर ठग नए उपकरण इस्तेमाल करते थे, ताकि उन्हें कोई पकड़ नहीं सके। पुलिस की ओर से फ्रीज कराए गए खातों का भी ये लोग दोबारा कभी इस्तेमाल नहीं करते थे।
लालच में न आएं, लिंक पर क्लिक करने से बचें
डीसीपी क्राइम के अनुसार यदि साइबर जालसाजों से बचना है, सतर्कता सबसे जरूरी है। कुछ चीजों का ध्यान रखकर साइबर ठगी से बचा जा सकता है।
- मेसेज पर आने वाले किसी भी अंजान लिंक पर क्लिक न करें।
- यदि कोई अंजान व्यक्ति आपको फोन या मेसेज करके कम समय में ज्यादा मुनाफे का झांसा देता है तो सतर्क हो जाएं। ये साइबर ठगों का पैतरा होता है।
- निवेश के लिए हमेशा विश्वसनीय एप या प्लेटफार्म का इस्तेमाल करें। अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही निवेश करें।
- अंजान मोबाइल या गेमिंग एप व अन्य सोशल साइट का इस्तेमाल न बिल्कुल न करें।
- अंजान लोगों के वीडियो कॉल भी उठाने से बचें।
गिरोह ने देश के अलग अलग राज्यों के लोगों से करोड़ों की ठगी की है। अब तक आरोपियों के मोबाइल नंबर के खिलाफ 69 शिकायतें मिली हैं। इसके अलावा उनके बैंक खातों को लेकर 157 शिकायतें दर्ज हैं। छानबीन में बैंक खातों से करोड़ों के ट्रांजेक्शन के साक्ष्य मिले हैं। आरोपियों ने बताया कि वह टेलीग्राम एप से भी लोगों को अपनी जाल में फंसाते थे। ऑनलाइन होटल बुकिंग करने वाले लोगों से भी ठगी करते थे।
दुबई में गिरोह का सरगना, कॉल सेंटर से भी ठगी
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनके गिरोह का सरगना गन्नी है, जो विशाल और प्रिंस के नाम से भी जाना जात्ता है। गन्नी दुबई से गिरोह का संचालन करता है। पकड़े गए आरोपियों ने पहले श्रीलंका और सिंगापुर समेत अन्य देशों में कॉल सेंटर खोला था। वहीं से सभी साइबर ठगी और ऑनलाइन सट्टा संचालित करते थे। रेड्डी अन्ना एप के जरिये ठग लोगों से रकम निवेश कराने के बाद रकम को अलग अलग फर्जी खातों में ट्रांसफर कर देते थे।
गेमिंग एप के जरिये देते झांसा, फिर लगाते थे चूना
साइबर सेल की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने रेड्डी अन्ना के नाम से एक गेमिंग एप भी बना रखा है। सबसे पहले वे गेमिंग के जरिए लोगों से मेलजोल बढ़ाते थे। लोगों को टास्क देते थे। टास्क पूरा करने पर लोगों के खाते में कुछ रकम भेज देते थे। खाते में रकम आने पर लोगों का भरोसा बढ़ जाता था। इसके बाद उन्हें निवेश के लिए तैयार किया जाता था। शुरुआती निवेश में उन्हें फायदा भी दिया जाता था ताकि लोग बढ़ी रकम निवेश करें। जब निवेश की रकम अच्छी खासी हो जाती थी, तब गिरोह के लोग संपर्क खत्म कर देते थे।