अध्यात्म

एंजल की इन टिप्स से जीवन होगा खुशियों से भरा

अंक ज्योतिष (Mulank 6 Jyotish) और टैरो कार्ड रीडर पल्लवी एके शर्मा की मानें तो आज यानी 15 दिसंबर का दिन सभी राशि के जातकों के लिए खुशियों से भरा रहने वाला है लेकिन एंजल की सलाह का पालन करना बेहद आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि एंजल के द्वारा बताए गए नियम का पालन करने से सफलता के मार्ग खुलते हैं और बिगड़े काम होते हैं।

सनातन धर्म में अंक ज्योतिष को विशेष महत्वपूर्ण माना गया है। अंक ज्योतिष के अनुसार, इंसान के मूलांक की सहयता से उसके जीवन से जुड़ी कई बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है, जिससे सफलता के मार्ग खुलते हैं और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अंक ज्योतिष के अनुसार, आज यानी 15 दिसंबर (Numerology 15 December) का दिन मूलांक 06 के जातकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। जिन लोगों का जन्म 6, 15, या 24 तारीख को होता है। उनका मूलांक 06 (Mulank 6 Jyotish) होता है। इनका स्वामी शुक्र देव को माना जाता है। इस मूलांक के जातक स्वस्थ जीवन जीते हैं और लंबी आयु होती है। ऐसे में अंक ज्योतिष और टैरो विशेषज्ञ पल्लवी एके शर्मा से चलिए जानते हैं कि आज यानी 15 दिसंबर को मूलांक 06 के जातकों को किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?

एंजल्स की इस सलाह का जरूर करें पालन
जीवन में बहादुर बनें। हर चीज के लिए साहसिक न बनें।
ऊर्जा को अपनी तरफ आकर्षित करें।
खुश, प्रसन्न और शांत रहें।
अपने सांसारिक और आध्यात्मिक स्वर को संतुलित करें।
दूसरों की भावना को समझें।
अपनी भावना की सराहना करें कि आप कौन बनना चाहते हैं।

इन कार्यों से बनाएं दूरी
पीछे की ओर जाना।
जरुरत से अधिक करना।
किसी चीज पर अधिकार जताना।

आज कुछ सेकंड के लिए बिना रुके इसका जाप करें – ”मैं अपने आंतरिक अहसास पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं।”

इन मंत्रों का करें जप
गायत्री मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
ॐ गं गणपतये नमः।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय।
हनुमान चालीसा

हर रोज सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसी मान्यता है कि इसका पाठ करने से जातक के जीवन में आ रहे दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है।

पूजा के दौरान करें शुक्र देव के इन मंत्रों का जप
ऊँ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम:
ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
ऊँ वस्त्रं मे देहि शुक्राय स्वाहा
ऊँ शुं शुक्राय नम:
ऊँ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम ।।
“ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र प्रचोदयात्”।।
ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सेमं प्रजापति:।

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