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एचएमपी वायरस को लेकर चंडीगढ़ में अलर्ट: सर्दी-जुकाम और गले में संक्रमण को हल्के में न लें

ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस को एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है। यह इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हुई थी। उस समय नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था।

चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय गंभीर है। चंडीगढ़ स्वास्थ्य विभाग ने अभी कोई एडवाइजरी नहीं जारी की है लेकिन पीजीआई व स्वास्थ्य विभाग सजगता से नजर बनाए हुए है। शहर के अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले सर्दी, जुकाम और गले में संक्रमण के मरीजों को एचएमपीवी से बचाव के बारे में बताया जा रहा है। खास तौर पर बच्चों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एचएमपीवी बच्चों को तेजी से चपेट में ले सकता है। पीजीआई के एडवांस्ड पीडियाट्रिक सेंटर की प्रो. जयश्री मुरलीधरन ने एचएमपीवी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रो. जयश्री ने बताया कि छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्ति एचएमपीवी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। यह संक्रमण गंभीर श्वसन जटिलताओं में बदल सकता है, जिसमें निमोनिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी पुरानी श्वसन बीमारियों का बढ़ना शामिल है।

आप भी जान लें ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस
ह्यूमन मोटान्यूमोवायरस को एचएमपीवी के नाम से भी जाना जाता है। यह इंसानों की श्वसन प्रक्रिया पर प्रभाव डालने वाला वायरस है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हुई थी। उस समय नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया था। यह पैरामाइक्सोविरीडे परिवार का वायरस है। श्वसन संबंधी अन्य वायरस की तरह यह भी संक्रमित लोगों के खांसने-छींकने के दौरान उनके करीब रहने से फैलता है। कुछ अध्ययनों में दावा किया गया है कि यह वायरस पिछले छह दशक से दुनिया में मौजूद है।

एचएमपीवी का किस पर और कितना असर?
यह मुख्य तौर पर बच्चों पर असर डालता है। हालांकि, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और बुजुर्गों पर भी इसका प्रभाव दर्ज किया गया है। इस वायरस की वजह से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, कफ की शिकायत हो सकती है। ज्यादा गंभीर मामलों में गला और श्वांस नली के जाम होने से लोगों के मुंह से सीटी जैसी खरखराहट भी सुनी जा सकती है।

कुछ और गंभीर स्थिति में इस वायरस की वजह से लोगों को ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली में सूजन) और निमोनिया (फेफड़ों में पानी भरना) की स्थिति पैदा कर सकता है। इसके चलते संक्रमित को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। चूंकि इसके लक्षण कोरोना वायरस संक्रमण और आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इन दोनों में अंतर बता पाना मुश्किल है। हालांकि, जहां कोरोना वायरस की महामारी हर सीजन में फैली थी।

वहीं, एचएमपीवी अब तक मुख्यतः मौसमी संक्रमण ही माना जा रहा है। हालांकि, कई जगहों पर इसकी मौजूदगी पूरे साल भी दर्ज की गई है। कोरोना के इतर इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। सामान्य तौर पर इस वायरस का असर तीन से पांच दिन तक रहता है।

अधिकारी के अनुसार
एचएमपीवी के लक्षण सर्दी, जुकाम वाले ही हैं। यह छींकने, खांसने, करीब रहने से हो सकता है। बचाव के लिए कोविड के सभी मानकों का पालन करना होगा। ठंड के मौसम में इस तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए डरने के बजाय बचाव को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। -डॉ. आरएस बेदी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एकेडमी ऑफ़ मेडिकल स्पेशलिस्ट चेयरमैन।

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