अध्यात्म

 ऐसे करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, नोट करें समय और नियम

 रमा एकादशी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस शुभ दिन पर श्री हरि के भक्त उनका आशीर्वाद पाने के लिए सख्त उपवास रखते हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 28 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से साधक को विष्णु जी के कृपा के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, इस दिन (Rama Ekadashi 2024) का कुछ लोग उपवास तो रखते,

लेकिन उसका पारण सही विधि से न करके व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो आइए जानते हैं कि कैसे एकादशी व्रत का पारण करना चाहिए?

रमा एकादशी पारण समय (Ekadashi Vrat Parana Time)

हिंदू पंचांग के अनुसार, रमा एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त (Ekadashi Shub Muhurat) 8 बजकर 11 मिनट से लेकर 9 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्त इस दौरान विष्णु जी की पूजा करें। वहीं, 29 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 44 मिनट के बीच एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं, जो लोग इस व्रत (Ekadashi) का पालन करते हैं, उन्हें समय का खास ख्याल रखना चाहिए।

एकादशी व्रत का पारण कैसे करें? (Ekadashi Vrat Parana Vidhi)
भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
फिर भगवान की पूजा शुरू करें, दीया जलाएं, तुलसी पत्र, फल, मिठाई, पंचामृत और सूखे मेवे आदि चीजें उन्हें अर्पित करें।
इसके बाद व्रती पूजा और उपवास में हुई गलती के लिए क्षमा याचना करें।
विभिन्न मंत्रों का जाप करें, विष्णु सहस्रनाम और श्री हरि स्तोत्र का भी पाठ करें।
आरती से पूजा का समापन करें।
प्रसाद का वितरण परिवार के सदस्य व अन्य लोगों में करें।
जरूरतमंदों को कुछ दान करें।
बड़ों का आशीर्वाद लें।
श्री हरि का ध्यान करते हुए फिर प्रसाद या तुलसी पत्र खाकर व्रत का पारण करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
गलती से भी तामसिक चीजों को भोजन में शामिल न करें।

श्री हरि के मंत्र (Bhagwan Vishnu ji Ke Mantra)

  1. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।
  2. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।
  3. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं। विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।। लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् । वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥


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