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ओडिशा: थाने में महिला के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ बीजद का प्रदर्शन

विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) की महिला शाखा ने शनिवार को पुलिस हिरासत में एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के विरोध में शनिवार को राजभवन के सामने प्रदर्शन किया। वहीं, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के आधिकारिक आवास को घेरने की कोशिश की और उनके इस्तीफे की मांग की। माझी के पास गृह विभाग भी है।

बीजद की सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं ने पोस्टर और बैनर के साथ राजभवन के बाहर धरना दिया और राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार महिलाओं सहित निवासियों की सुरक्षा करने में विफल रही है। उन्होंने यह भी मांग की कि भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस थाने में एक सेना अधिकारी और उसकी मंगेतर के कथित उत्पीड़न की जांच कोर्ट की निगरानी वाली एसआईटी करे और मामले की न्यायिक जांच हो।

पार्टी की नेता लेखाश्री समंतसिंहर ने कहा, “हम राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजेंगे।” उन्होंने कहा, “राज्य सरकार का पुलिस-प्रशासन पर नियंत्रण नहीं है। भरतपुर पुलिस थाने की घटना से यह स्पष्ट होता है, जहां सेना के एक अधिकारी और उनकी महिला का कथित तौर पर शारीरिक और यौन उत्पीड़न किया गया। यह एक सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।”

भुवनेश्वर की मेयर और बीजद नेता सुलोचना दास ने कहा, “बीजद प्रमुख नवीन पटनायक ने न्यायिक जांच की मांग की है, क्योंकि राज्य पुलिस अपने ही कर्मचारियों के खिलाफ उचित जांच नहीं सकती। इसलिए, न्यायिक जांच ही पीड़ितों को न्याय दिला सकती है। दास ने राज्य सरकार पर घटना को दबाने और दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने का भी आरोप लगाया।” उन्होंने कहा, “भरतपुर पुलिस थाने में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे। लेकिन अब पुलिस का कहना है कि वहां कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था। यह इस बात का संकेत है कि सरकार इस घटना को दबाने का प्रयास कर रही है।” बीजद की सांसद सुलता देव ने कहा कि पार्टी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस मामले में दखल देने की मांग की है, क्योंकि वह एख महिला हैं और सेना अधिकारी की मंगेतर की पीड़ा को समझ सकती हैं।

इस बीच, युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और छात्रों ने भी प्रदर्शनकिया और मुख्यमंत्री के आवास को को घेरने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री के निवास की टमाटर-अंडे फेंकने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने उन्हें कुछ दूरी पर ही रोक दिया। यह घटना 15 सितंबर को हुई थी, जब एक सेना अधिकारी और उसकी मंगेतर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने गए थे। लेकिन वहां, पुलिसकर्मियों के साथ उनकी बहस हुई, जिसके बाद दोनों का कथित तौर पर उत्पीड़न किया गया।

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