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ओडिशा: रावेनशॉ विश्वविद्यालय परिसर में रैली के दौरान दो गुटों के बीच झड़प

156 साल पुराने रावेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने के विचार का विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने परिसर में मसाल रैली निकाली। इस दौरान दूसरे समहू के साथ छात्रों की झड़प हो गई, जिसके बाद विश्वविद्यालय में तनाव फैल गया।

‘सेव रेवेनशॉ लिगेसी फोरम’ के नेतृत्व में रैली रानीहाट स्क्वायर से शुरू हुई और कॉलेज स्क्वायर पर समाप्त हुई। रैली में भाग लेने वाले छात्रों और पूर्व छात्रों ने संस्थान का नाम बदलने के विचार का विरोध करते हुए नारे लगाए और मांग की कि विश्वविद्यालय अपना ऐतिहासिक नाम बरकरार रखे।

छात्रों का आरोप है कि प्रदर्शन के दौरान बाहरी लोगों ने उन पर हमला किया, जिसके कारण झड़प हो गई। पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से घटना की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है। हालांकि स्थानीय प्रशासन की दखल के बाद मामले को शांत करवाया गया है।

31 अगस्त को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के विश्वविद्यालय के औपनिवेशिक युग के नाम को बदलने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। हालांकि प्रधान ने संकेत दिया कि यह सुझाव उनकी निजी राय थी।

कटक में स्वशासन दिवस पर एक कार्यक्रम के दौरान प्रधान ने कहा, “नाम बदलने की जरूरत है। रेनशॉ, जिनके नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, उन्होंने अकाल के दौरान ओडिशावासियों को काफी आहत किया।” संबलपुर से भाजपा सांसद ने यह भी बताया कि राज्य के आयुक्त के रूप में टीई रेवेनेशॉ के कार्यकाल के दौरान ओडिशा में 1866 का विनाशकारी अकाल पड़ा था।

उन्होंने कहा, “ओडिशा के अनेक लोग अकाल में मारे गए। यह आपदा टीई रेवेनशॉ सहित ब्रिटिश अधिकारियों की प्रशासनिक विफलता के कारण हुई थी। ओडिशा के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम ब्रिटिश कमिश्नर के नाम पर क्यों रखा जाना चाहिए? ओडिशा के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए।’’

रावेनशॉ विश्वविद्यालय की स्थापना 1868 में कटक में ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी। कॉलेज को 1990 के दशक में एक स्वायत्त दर्जा दिया गया था। इसे 2006 में एक एकात्मक विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संस्थान का अपना गौरव है क्योंकि इसने विभिन्न क्षेत्रों के कई दिग्गजों को दिया है।

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