प्रदर्शनी में कंबोडिया की कठपुतलियां, सिंगापुर की शैडो कठपुतलियां, त्रिनिदाद और टोबैगो की रावण टोपी और मलयेशिया की किताबें और शैडो कठपुतलियों को भी प्रदर्शित किया गया।
ओडिशा के भूवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) कॉन्क्लेव 2025 की प्रदर्शनियों में विश्वरूप राम ने रामायण की अपनी अनूठी प्रस्तुति से भारतीय प्रवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यूनिवर्सल लिगेसी ऑफ रामायण शीर्षक वाली यह प्रदर्शनी पारंपरिक और समकालीन कला के माध्यम से महाकाव्य को प्रदर्शित करती है।
प्रदर्शन में भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की मूर्तियों के साथ साथ मेक्सिकों से लाई गई बड़े आकार का रावण का पुतला भी शामिल था। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
प्रदर्शनी में 16 रामायण मास्क, पोस्टकार्ड, पोस्टर और थाईलैंड से पेंटिंग कैटलॉग शामिल हैं। श्रीलंका से रावणहत्था को भी शामिल किया गया है जो कि रावण से जुड़ा एक पारंपरिक म्यूजिकल इंट्रूमेंट हैं। इंडोनेशिया से रामायण के दृश्यों को दर्शाने वाली कठपुतलियां और पेंटिंग लाई गई है। वहीं, नेपाल, कनाडा और न्यूजीलैंड की तरफ से रामायण की थीम पर पोस्टल स्टैंप्स लाई गई हैं। प्रदर्शनी में फिजी से लाई गई भगवान राम और हनुमान की मूर्तियां भी थी। इसके साथ विभिन्न भाषाओं में रामायण ग्रंथों को भी प्रदर्शित किया गया।
प्रदर्शनी में कंबोडिया की कठपुतलियां, सिंगापुर की शैडो कठपुतलियां, त्रिनिदाद और टोबैगो की रावण टोपी और मलयेशिया की किताबें और शैडो कठपुतलियों को भी प्रदर्शित किया गया। अधिकारियों के अनुसार, रामायण का 22 देशों के साथ सांस्कृतिक, धार्मिक और कलात्मक संबंध हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने अपनी पिछले साल अक्तूबर की लाओस की यात्रा को याद किया, जहां उन्होंने रामायण का लाओ संस्करण देखा था। इसे फलक फलम या फ्रा लक फ्रा राम के नाम से जाना जाता है।