
कनाडा सरकार ने अपने नागरिकता कानून, बिल सी-3 में एक ऐतिहासिक संशोधन किया है, जो 15 दिसंबर 2025 से लागू कर दिया गया है। यह नया कानून विदेश में जन्मे या गोद लिए गए बच्चों के लिए कनाडा की नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
नए नियमों के अनुसार, कनाडाई नागरिक माता-पिता अब विदेश में जन्मे या गोद लिए गए अपने बच्चों को कनाडाई नागरिकता प्रदान कर सकते हैं। इसके लिए केवल एक मुख्य शर्त है कि बच्चे के जन्म या गोद लेने से पहले, माता-पिता को कम से कम तीन साल (1095 दिन) तक कनाडा में रहना होगा।
2009 में लागू फर्स्ट-जेनरेशन लिमिट नियम ने कनाडा के बाहर पैदा हुए बच्चों को नागरिकता से वंचित कर दिया था।
न्यू इमेज की एमडी पूजा सिंह का तर्क है कि कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। यह बदलाव उनके लिए अच्छी खबर है क्योंकि अब उन परिवारों के बच्चों को आसानी से नागरिकता मिल जाएगी जो काम या अन्य कारणों से भारत या किसी अन्य देश में रह रहे थे। समान अधिकार के तहत विदेश में जन्मे बच्चों को भी कनाडा में जन्मे बच्चों के समान अधिकार मिलेंगे।
गोद लिए गए बच्चों के लिए नागरिकता के नियम अब पहले की तुलना में काफी उदार हो गए हैं। कनाडा सरकार का यह कदम नागरिकता के प्रति देश के दृष्टिकोण को अधिक आधुनिक और मानवीय बनाता है। यह खासकर उन हजारों भारतीय परिवारों के लिए राहत की खबर है जो पीढ़ियों से कनाडा से जुड़े हुए हैं।
बिल सी- 3 क्यों जरूरी था
कनाडा के रहने वाले मनीष शर्मा का कहना है कि कनाडाई नागरिकता नियमों में यह सुधार 2009 में लागू की गई फर्स्ट जेनरेशन की सीमा को लेकर कई साल के कानूनी और राजनीतिक दबाव के बाद किए गए हैं। इस नियम ने उन कनाडाई माता-पिता के विदेश में पैदा हुए बच्चों को वंश के आधार पर रोक दिया था, जो खुद भी कनाडा के बाहर पैदा हुए थे या गोद लिए गए थे।
दिसंबर 2023 में ओंटारिया सुपीरियर कोर्ट ऑफ जस्टिस ने अपने फैसले में कहा कि इस लिमिट के मुख्य हिस्से असंवैधानिक थे। संघीय सरकार ने अपील न करने का फैसला किया और माना कि यह कानून विदेश में रहने वाले कनाडाई लोगों के बच्चों के लिए गलत नतीजे दे रहा था।





