मियाद पूरी कर चुके वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना को एक बार फिर से जमीन पर उतारने की कवायद शुरू की गई है। दिल्ली सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2026 तक कुल पंजीकृत वाहनों में से तीन फीसदी वाहन रेट्रोफिट होंगे। यानी यह ऐसे वाहन होंगे जिन्हे इलेक्ट्रिक में बदला गया है।
परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि रेट्रोफिट वाहन, पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में बदलने की प्रक्रिया है। इसमें वाहन के मौजूदा इंजन और ईंधन टैंक को हटाकर, उसकी जगह इलेक्ट्रिक मोटर और बैटरी लगाई जाती है। रेट्रोफिटिंग के जरिये पुरानी कारों को स्क्रैप करने की जगह उनका इस्तेमाल जारी रखा जा सकता है।
परिवहन विभाग ने विशेषज्ञों से रेट्रोफिटिंग क्षेत्र का विश्लेषण करने का अनुरोध किया है और जल्द ही इसके लिए नीतियां पेश की जाएगी। इसमें सब्सिडी देने पर भी विचार किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि मौजूदा समय में मार्च 2025 तक पुरानी ईवी पॉलिसी लागू है। इसके बाद नई ईवी पॉलिसी लागू की जाएगी। इसमें इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने और रेट्रोफिट वाहनों को लेकर कई योजना पेश की जाएगी।
पुराने वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना की बात करें तो दिल्ली परिवहन विभाग की ओर से 2019 में बैठक बुलाई गई थी। इसमें 11 निजी कंपनियों ने भी भाग लिया था। इसके बाद परिवहन विभाग ने इलेक्ट्रिक किट लगाने वाली इन कंपनियां का पैनल बना दिया था। कंपनियों ने दावा किया था कि उन्होंने कारों और दोपहिया में इसका ट्रायल किया है जो सफल रहा है।
जून 2022 में, दिल्ली सरकार ने एक आदेश जारी किया, जिसमें पेट्रोल और डीजल वाहन मालिकों को रेट्रोफिटिंग के माध्यम से अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक में बदलने की अनुमति दी गई। सरकार ने वाहनों को रेट्रोफिट करने की प्रक्रिया में शामिल ग्राहकों और एजेंसियों दोनों को एक साझा मंच पर लाने के लिए एक नया पोर्टल भी लांच किया। लेकिन योजना आगे नहीं बढ़ सकी। अब इस योजना को लेकर नये सिरे कदम उठाने की बात कही जा रही है।
हाल में पांच लाख वाहनाें का पंजीकरण किया गया है रद्द
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 10 साल डीजल और 15 साल पेट्रोल से चलने वालों पर प्रतिबंध है। ऐसे में जैसे ही वाहनों की उम्र सीमा पार होती है। उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाता है। हाल में परिवहन विभाग ने ऐसे में पांच लाख वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। इससे पहले 2021 में वाहनों का पंजीकरण रद्द किया गया था, उस समय इनकी कुल संख्या 54 लाख थी। अब दिल्ली की सड़कों पर 82 लाख वाहन ही चलने लायक हैं।
अधिकारियों ने बताया कि उम्र पूरी कर चुके वाहनों को लेकर तीन विकल्प हैं। ऐसे वाहन मालिक परिवहन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेकर अपने वाहन को अन्य राज्यों में पंजीकृत करा सकते हैं। या फिर इन वाहनों को स्क्रैप कराया जाए। वहीं तीसरे विकल्प की बात करें तो वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलने की बात कही गई है। लेकिन अभी इसके लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।