फसल की बुआई और दवाई छिड़काव के लिए मजदूरों के न मिलने से किसानों को बड़ी मुश्किलें होती हैं। अब उनकी समस्या कृषिराज 1.0स्प्रेयिंग ड्रोन से हल हो जाएगी। यह 10 मिनट के भीतर एक एकड़ के खेत में फर्टिलाइजर, पेस्टिसाइड और यूरिया का छिड़काव कर देता है। इससे 90 प्रतिशत तक पानी और समय की बचत भी होती है।
कृषिराज 1.0 स्प्रेयिंग ड्रोन को विमाना एरोस्पेस टेक्नोलॉजीज ने बनाया है। यह ग्रेटर नोएडा का एक स्टार्टअप है और इसे आईआईएम काशीपुर के इंक्यूबेशन सेंटर फीड ने सहयोग दिया है। कंपनी के फाउंडर मृदुल जैन ने बताया कि अभी तक किसान पीठ पर टंकी लादकर खेत में हाथ से दवाई का छिड़काव करते थे, जिससे एक एकड़ के खेत में छिड़काव करने में करीब दो घंटे लग जाते थे। साथ ही एक एकड़ के खेत में डेढ़ सौ से दो सौ लीटर पानी खपत होता है। उनकी कंपनी की ओर से तैयार किया गया कृषिराज 1.0 ड्रोन की मदद से महज आठ से नौ मिनट में एक एकड़ के खेत में छिड़काव किया जा सकता है। साथ ही पानी की मात्रा भी सिर्फ दस लीटर लगेगी।
छोटे किसान पांच सौ रुपये में ले सकते हैं फायदा
समस्या कृषिराज 1.0 स्प्रेयिंग ड्रोन की कीमत करीब छह लाख रुपये है। छोटे किसान 400 से 500 रुपये चुकाकर एक एकड़ के खेत में छिड़काव करवा सकते हैं। एक बार की चार्जिंग से दो एकड़ खेत में छिड़काव किया जा सकता है। कंपनी के फाउंडर ने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि खेती से संबंधित ज्यादा से ज्यादा कार्य ड्रोन टेक्नोलॉजी से किए जाएं। इसी के चलते ऐसे ड्रोन तैयार कर रहे हैं, जिनमें बीजारोपण, फसल की गुणवत्ता और मृदा की जांच जैसी भी सुविधा हो।
पढ़ाई के दौरान कंपनी का आया था विचार
कंपनी के फाउंडर मृदुल जैन और को-फाउंडर विश्वानी अग्रवाल ने कंपनी को 2020 में रजिस्टर्ड कराया था। मृदुल और विश्वानी ने देहरादून से एक साथ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान ही दोनों ने कृषि क्षेत्र में ड्रोन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल का आइडिया सोचा था। कंपनी शुरू करने से पहले जानकारी प्राप्त करने के लिए अलग-अलग क्षेत्र में नौकरी की और उसके बाद कंपनी शुरू की। बताया कि जल्द ही ड्रोन को अपडेट किया जाएगा, ताकि कृषि संबंधित अन्य कार्य भी ड्रोन से किए जा सके। यह किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रहा है।
आईआईएम से फंडिंग और गाइडेंस में मिला सहयोग
आईआईएम काशीपुर के इंक्यूबेशन सेंटर फीड के सहयोग से विमाना एरोस्पेस टेक्नोलॉजीज को मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर की ओर से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 25 लाख रुपये की फंडिंग मिली है। इसके अलावा संस्थान द्वारा मार्केटिंग, प्रेजेंटेशन, पिचिंग, मार्केट ग्रोथ व अन्य चीजों के बारे में ट्रेनिंग दी गई। संस्थान की ओर से आज भी कंपनी को मेंटर किया जा रहा है। महज चार वर्षों में कंपनी की वैल्यूएशन 25 करोड़ हो गई है। उनका लक्ष्य आने वाले पांच साल में कंपनी की वैल्यूएशन 300 करोड़ तक ले जाने की है।