कुकिंग ऑयल की ऊंची कीमतों पर सरकार का सख्त रुख, मांगा कंपनियों से जवाब
रिटेल मार्केट में कुकिंग ऑयल की ऊंची कीमतों पर सरकार ने सख्ती दिखाई है और कंपनियों से स्पष्ट जवाब मांगा है। सरकार का सवाल है कि जब कुकिंग ऑयल पर इंपोर्ट टैक्स कम कर दिया गया है और इसकी देश में पर्याप्त उपलब्धता है, तो फिर कीमतें क्यों बढ़ी हुई हैं?
खाद्य मंत्रालय ने पहले भी कंपनियों को सलाह दी थी कि इंपोर्ट टैक्स कम होने के बाद कीमतें स्थिर रखें और जरूरी कदम उठाएं। इसके बावजूद त्योहारी सीजन के नजदीक आते ही कुकिंग ऑयल की कीमतें बढ़ रही हैं, जबकि सरकार का कहना है कि देश में अभी 45-50 दिनों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है।
खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने इस मुद्दे पर प्रमुख तेल उत्पादकों के संगठनों के साथ बैठक की, जिसमें सभी को कीमतें स्थिर रखने की हिदायत दी गई। भारत अपनी कुकिंग ऑयल की मांग का 50 फीसदी से अधिक आयात से पूरा करता है और देश में 30 लाख टन तेल सस्ते आयात शुल्क पर पहले से उपलब्ध है, जो अगले 50 दिनों की जरूरतों के लिए पर्याप्त है।
सरकार ने फिर बढ़ाई इंपोर्ट ड्यूटी
हालांकि, 14 सितंबर 2024 से सरकार ने कच्चे और रिफाइंड तेलों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है, ताकि घरेलू तिलहन की कीमतों को समर्थन दिया जा सके। कच्चे सोयाबीन, पाम और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क अब 20% हो गया है, जिससे इन तेलों पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5% तक बढ़ गया है। रिफाइंड तेलों पर भी शुल्क 12.5% से बढ़ाकर 32.5% कर दिया गया है, जिससे इन पर प्रभावी शुल्क 35.75% हो गया है।