कुरावर के पार्थ नारायण शर्मा ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में 495 अंक पाकर प्रदेश में हासिल किया दूसरा स्थान
मैं दिन में करीब 6 घंटे तक प़ढाई करता था। पूरा रोटेशन बनाने के बाद प़ढता था। जब तक संबंधित चैप्टर कंपलीट नहीं हो जाता तब तक मैं प़ढाई बंद नहीं करता था। मुझे मेरे माता-पिता, स्कूल व कोचिंग शिक्षक द्वारा समय-समय पर बहुत मार्गदर्शन दिया। उनकी बदौलत ही आज प्रदेश में दूसरा स्थान पा सका हूं। अब पहले इंजीनियरिंग करूंगा व उसके बाद आइएएस की तैयारी करूंगा। आइएएस बनना मेरा सपना है। यह कहना है 10वीं की मेरिट लिस्ट में दूसरा स्थान पाने वाले कुरावर निवासी पार्थ नारायण पिता कृष्णकांत शर्मा का।
उन्होंने 500 में से 495 अंक अर्जित किए। जबकि पहला स्थान छतरपुर की नैंसी दुबे व सतना की सुचिता पांडे ने एक समान 496-496 अंक पाकर प्राप्त किया। इसके बाद रीवा जिले के आयुष मिश्रा व राजग़ढ के पार्थ को एक समान 495-495 अंक प्राप्त हुए। जैसे ही पार्थ, उनके परिजनों, स्कूल शिक्षकों, कोचिंग शिक्षक सहित रिश्तेदारों को पार्थ की सफलता की जानकारी लगी तो हर किसी ने पार्थ को बधाई दी। उनके घर बधाई देने वालों का तांता लग गया। प्रदेश में दूसरा स्थान हासिल करने वाले पार्थ ने बताया कि वह अब 11 वीं कक्षा से गणित विषय लेकर आगे की पढ़ाई करेंगे। इसके बाद इंजीनियरिंग करेंगे व वह कंपलीट होने के बाद यूपीएससी की तैयारी कर आइएएस बनने की चाहत है । पाथ के पिता भी समीपस्थ गांव में शासकीय शिक्षक हैं। पाथ की सफलता की जानकारी लगने के बाद एसपी प्रदीप शर्मा व डीईओ बीएस बिसारिया ने भी मोबाइल पर पार्थ से बात करके बधाई-शुभकामनाएं दी।
सफलता का मंत्र
पार्थ ने बताया कि उनका दिन का पूरा नियमित शेडयूल था। सुबह 5 बजे उठकर 7 बजे तक प़ढाई करता था। इसके बाद तैयार होकर 9 बजे स्कूल जाता। फिर 3 बजे तक स्कूल से आने के बाद 4 बजे से 6 बजे तक फिर होमवर्क करने सहित नोट्स बनाने का काम करता था। कुछ समय शाम को घूमता था। इसके बाद रात 8 से 10-11 बजे तक फिर अध्ययन करता था। पार्थ को जिस विषय में लगता कि कंपलीट नहीं है, उसका पूरा प्लान बनाकर पढाई करता था। जो चैप्टर तय कर लिया जाता था, वह तय समय में ही कंपलीट करने पर जोर रहता था।