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कुरुक्षेत्र: मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने बांधा समां, मां के जीवन पर सुनाई पंक्तियां

कुरुक्षेत्र। सार्थक साहित्य मंच द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम गीता कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में रतन चंद सरदाना की अध्यक्षता में और अन्नपूर्णा की मेजबानी में किया गया। मातृ दिवस, परशुराम जयंती और चुनावी उत्सव सहित अन्य विषयों पर रचनाएं प्रस्तुत किए। रचनाकारों ने अपनी रचना के माध्यम से वातावरण कभी भावुक कर दिया तो कभी हंसी के ठहाके गूंज उठे। काव्यगोष्ठी में विभिन्न रचनाकारों ने हिस्सा लिया, जिसमें डॉ. शकुंतला शर्मा, कस्तूरी लाल शाद, डाॅ. ममता सूद, डॉ. बलवान सिंह, शिव किरमच, राधा अग्रवाल, अनीता रामपाल , सुधीर ढांडा, सूबे सिंह सुजान, कैथल से डॉ. प्रदुमन भल्ला, पानीपत से कमलेश कुमार ,पालीवाल और मध्य प्रदेश से आए शैलेश तिवारी शामिल रहे।

डॉ. शकुंतला ने मां किरदार नहीं होती, मां एक समंदर होती है। कविता के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया। मां विषय पर उनके द्वारा दी गई प्रस्तुति ने दर्शकों का मन भावुक कर दिया। कस्तूरी लाल शाद ने… खुश होते जा के जीव सभी, जब मां के दर्शन करते हैं और रतन चंद सरदाना ने…प्रभात की इस बेला में, तुम थाल सजाकर, कहां चली हो तुम नारी रचना पर प्रस्तुति दी। डाॅ. ममता सूद ने मतदान करो, अपनी वोट का सम्मान करो कविता का गुणगान कर मतदान करने के लिए प्रेरित किया। अन्नपूर्णा शर्मा, सुधीर ढ़ांडा, शिव किरमच, राधा अग्रवाल, शैलेश तिवारी ने मां के जीवन पर कविता का गुणगान कर दर्शकों का मन मोह लिया। सूबे सिंह सुजान ने दुनिया में इस तरह भी बड़े काम हो गए, घर से निकाले गए उनके बड़े नाम हो गए कविता को सुनाया।

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