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कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा- प्राकृतिक खेती करने वालों को मिलेगा परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव

हाल ही केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नेशनल मिशन फॉर नेचुरल फार्मिंग को मंजूरी दी गई है। इस मिशन के तहत केंद्र सरकार किसानों को इंसेंटिव देगी। यह कहना है केंद्रीय कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी का।

वह इरी परिसर में आयोजित नेशनल सीड कांग्रेस में हिस्सा लेने वाराणसी आए और प्राकृतिक खेती के लिए शुरू हुए इस मिशन, खाद, बीज, एमएसपी जैसे तमाम मुद्दों पर बात की। अमर उजाला गांव जंक्शन नेशनल सीड कांग्रेस का सहयोगी है। पेश है केंद्रीय कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी से बातचीत के अंश-

प्राकृतिक खेती से नुकसान नहीं, कम खर्च में बढ़ेगी आमदनी

कृषि सचिव ने बताया, प्राकृतिक खेती करने पर किसान को नुकसान नहीं होगा, बल्कि उसका खर्च कम होगा और आमदनी बढ़ेगी। लागत कम होने की वजह इसमें खाद, कीटनाशक का खर्च बचना है। पानी का इस्तेमाल भी कम होगा। मिट्टी की सेहत अच्छी होगी। इसीलिए उन्हें किसी प्रकार का अनुदान या मुआवजा देने की जरूरत नहीं है। लेकिन, इसे प्रोत्साहित करने के लिए यह व्यवस्था रखी है कि जो लोग शुरूआत में इस तरफ आएंगे, उनको परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव दिया जाएगा। उनके फार्म को हम और किसानों को दिखाएंगे तो परफॉर्मेंस बेस्ड इंसेंटिव रखा है। इंसेंटिव उनको मिलेगा जो प्रशिक्षण लेंगे, गाय रखने के साथ फसल चक्र का सही पालन करेंगे। बायो रिसोर्स सेंटर से तैयार कल्चर को ले जाएंगे। कुल मिलाकर जो किसान प्राकृतिक खेती की पूरी विधि अपनाएंगे, उन्हीं को इंसेंटिव मिलेगा।

गंगा व अन्य नदियों के किनारे पहले शुरू करेंगे उपयोग

डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि आईसीएआर के अध्ययन से पता चला कि प्राकृतिक खेती पूरे विधि विधान से की जाए तो उत्पादन कम नहीं होता है। इससे आय बढ़ती है। लेकिन, जरूरी है कि इसके जो अलग-अलग 11 कल्चर हैं, जो फसल चक्र है, उसका सही इस्तेमाल हो। यह बात किसानों को समझाने के लिए देश भर में 2000 मॉडल फार्म तैयार किए जाएंगे। ऐसे फार्म प्रगतिशील किसानों के यहां भी बनाए जाएंगे। इनके माध्यम से दिखाएंगे कि प्राकृतिक खेती में उत्पादन नहीं, बल्कि खर्च कम होता है। सबसे पहले दो तरह के जनपदों या क्षेत्रों में इस मॉडल को दिखाएंगे। एक जहां रासायिनक खाद का इस्तेमाल होता है और दूसरा जहां इसका बहुत कम इस्तेमाल होता है। क्योंकि जहां पहले से इसका कम इस्तेमाल होगा, वहां मॉडल लागू करना आसान हो जाएगा। गंगा व अन्य नदियों के किनारे इसका उपयोग पहले शुरू करेंगे।

कृषि सचिव ने कहा कि नेशनल मिशन फॉर नेचुरल फार्मिंग का उद्देश्य पूरे देश में प्राकृतिक खेती को प्राेत्साहित करके ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ना है। करीब 1 करोड़ किसानों को जोड़ने का लक्ष्य है। साढ़े सात लाख हेक्टेयर में खेती की जानी है। इसके लिए दो साल का समय तय किया गया है। योजनाबद्ध तरीके से

आईसीएआर के संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से इसे बढ़ाया जाएगा। जो किसान पहले से प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, उनको एंबेस्डर फॉर चेंज बनाकर उनके माध्यम से अन्य किसानों को प्रशिक्षित कराएंगे।

क्यूआर कोड से किसान जांचेंगे बीज की गुणवत्ता

कृषि सचिव ने कहा कि आने वाले समय में किसान क्यूआर कोड की मदद से बीज की गुणवत्ता जांच सकेंगे। अच्छी फसल के लिए बीज की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए दो पहलुओं पर काम हो रहा है। पहला कि हमारे संस्थान जो नए प्रजाति के ब्रीडर बीज पैदा करते हैं, उनको सर्टिफाई करके किसानों तक पहुंचाया जाए। दूसरा यह कि बीज पर विश्वसनीयता बनी रही। इसके लिए व्यवस्था बना रहे हैं कि जहां वह बीज पहुंच रहा वह किसान जान सके कि इसका ब्रीडर कहां से आया।

कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चलेगा कार्यक्रम, जुड़ेंगे किसान

डॉ देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि सरकार कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम चलाने की तैयारी में है। गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिसेज लाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम चलाया जाएगा। जहां निर्यात की संभावनाएं होंगी, वहां के किसानों को इससे जोड़ा जाएगा। कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बहुत सी पॉलिसी आई हैं। जैसे बासमती निर्यात को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य खत्म कर दिया। चावल, प्याज के निर्यात को खोल दिया गया है।

दिसंबर में उपलब्ध होगी जरूरत से ज्यादा खाद

कृषि सचिव ने कहा कि जहां भी समस्या थी, वहां खाद पहुंच गई है। डीएपी का स्टॉक बढ़ा है। ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं कि दिसंबर में जितनी खाद की आवश्यकता है, उससे अधिक पहुंच जाए। फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए गठित कमेटी को लेकर देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि वह अपना काम कर रही है। काफी गहन अध्ययन चल रहा है।

डेढ़ साल में देंगे 14,500 ड्रोन

कृषि सचिव ने कहा कि ड्रोन दीदी कार्यक्रम के तहत 15 हजार ड्रोन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिए जाने हैं। इसके लिए कार्यकारी निर्देश जारी हो गए हैं। शीघ्र ही 80 फीसदी अनुदान पर ड्रोन उपलब्ध कराएंगे। अभी 500 ड्रोन सरकार ने पहुंचाए थे, जो फर्टीलाइजर कंपनियों ने बांटे थे। डेढ़ वर्ष में 14,500 ड्रोन और बांटने का लक्ष्य है।

खेती से आमदनी बढ़ाने के लिए करने होंगे ये काम

खेती से आय बढ़ाने के मुद्दे पर देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि किसानों को इसके लिए प्राकृतिक खेती, माइक्रो इरिगेशन को अपनाने के साथ खाद का संतुलित प्रयोग करना होगा। प्रयास है कि किसानों को बेहतर बाजार दें, जिससे उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक फसल का दाम मिले। जो भी प्रगतिशील किसान खुशहाल हैं, उन्होंने मोनोकल्चर से हटकर मल्टीपल क्रॉपिंग शुरू की है। इससे उनका खेती में खतरा कम हुआ और आमदनी बढ़ी है। इसके साथ मत्स्य पालन, पशुपालन को भी जोड़ना होगा।

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