राष्ट्रीय

केंद्र का लड़ाकू विमान इंजनों पर 654 अरब खर्च करने का एलान

केंद्र सरकार ने अगले दशक में लड़ाकू विमान इंजनों की खरीद और विकास पर 654 अरब रुपये (7.44 अरब डॉलर) खर्च करने की योजना बनाई है। यह विशाल निवेश आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की गैस टरबाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (जीटीआरई) के निदेशक, एसवी रमना मूर्ति के अनुसार, देश को विभिन्न लड़ाकू जेट कार्यक्रमों के लिए लगभग 1,100 इंजनों की आवश्यकता होगी।

हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस के लिए स्वदेशी कावेरी इंजन को विकसित करने में तमाम तकनीकी चुनौतियां हैं। मूर्ति ने कहा कि सफल स्वदेशी इंजन के लिए हाई-एल्टीट्यूड टेस्टिंग फैसिलिटी जैसे बुनियादी ढांचे और एक मजबूत औद्योगिक आधार को मिशन मोड में विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि कावेरी इंजन के एक संस्करण का इस्तेमाल स्वदेशी मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (यूसीएवी) में किया जा सकता है।

एएमसीए के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारी व निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन

भारत की महत्वाकांक्षी 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान (एएमसीए) परियोजना के इंजन को सह-विकसित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से बात चल रही है। फ्रांस की सैफरान, ब्रिटेन की रोल्स-रॉयस और अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक ने इसमें रुचि दिखाई है। अधिकारियों ने पहले बताया था कि एएमसीए का प्रोटोटाइप 2028 तक रोल आउट होने की उम्मीद है।

रक्षा उत्पादन में तेजी लाने और सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) पर दबाव कम करने के लिए, सरकार ने पहली बार इस लड़ाकू विमान के विकास और उत्पादन के लिए निजी फर्मों के लिए भी बोली खोल दी है। यह नीतिगत बदलाव प्रधानमंत्री मोदी के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसमें भारतीय फर्मों के साथ साझेदारी करके हथियार निर्माताओं को इकाइयां स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया गया है, ताकि भारत रक्षा उपकरणों के लिए अपनी विनिर्माण क्षमता को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ा सके।

जोरावर टैंक ने नाग मिसाइल से साधा सटीक निशाना, बढ़ी ताकत

भारत लगातार सैन्य क्षमताओं को और विकसित करने में जुटा है। शुक्रवार को रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और लार्सन एंड टुब्रो की ओर से निर्मित जोरावर लाइट टैंक ने एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (नाग मार्क 2) को दागकर टैंक की क्षमता का सफल परीक्षण किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टैंक से मिसाइल के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ को बधाई दी। डीआरडीओ अधिकारी ने बताया कि जोरावर टैंक और नाग मिसाइल का परीक्षण सफल रहा।

इस परीक्षण में टैंक सभी मुख्य मापदंड जैसे-रेंज, टॉप अटैक मोड में चलाने की क्षमता और सटीक निशाना पूरी तरह से सफल रहे। डीआरडीओ ने परीक्षण का वीडियो भी जारी किया है। जोरावर टैंक पहला स्वदेशी लाइट टैंक है। इसका वजन 25 टन है। ये मल्टी वेपन सिस्टम से लैस हैं। मिसाइल के साथ मेन गन भी लगी होंगी। ड्रोन इंटीग्रेशन भी होगा। इससे दुश्मन पर पैनी नजर रखी जा सकेगी। ड्रोन की फीड सीधे टैंक में कमांडर के पास आएगी। भारतीय सेना 350 लाइट टैंक लेने की तैयारी में है।

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