केंद्र सरकार ने लांच किया राष्ट्रीय बिजली प्लान, नेपाल, सऊदी अरब समेत कई देशों तक फैलेगा नेटवर्क
केंद्र सरकार ने सोमवार को एक राष्ट्रीय बिजली प्लान (ट्रांसमिशन) लांच किया है। जिसका उद्देश्य पूरे देश में बिजली ट्रांसमिशन व्यवस्था को आमूल-चूल बदलाव लाते हुए इसे इस तरह से तैयार करना है ताकि अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से बनने वाली बिजली की ट्रांसमिशन भी आसानी से हो।
इस प्लान के तहत भारत में अगले दस सालों के अंदर 1.91 लाख किलोमीटर नई ट्रांसमिशन लाइन बिछाने, वर्ष 2032 तक 168 गीगावाट्स की अतंर-क्षेत्रीय ट्रांसमिशन की क्षमता करने करने की योजना बनाई है। साथ ही पाकिस्तान को छोड़ कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, म्यांमार, बांग्लादेश, भूटान व श्रीलंका के साथ ही यूएई और सउदी अरब तक की बिजली व्यवस्था को आपस में इंटरकनेक्टेड रखने की सोच दिखाई गई है।
योजनाओं पर कुल 9,00,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना
इन सभी योजनाओं पर कुल 9,00,000 करोड़ रुपये के निवेश होने की संभावना है। राष्ट्रीय बिजली प्लान की रूपरेखा केंद्रीय बिजली आयोग (सीईए) ने तैयार की है जिसे केंद्रीय बिजली व आवास और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लांच किया।
बिजली मंत्री ने कहा कि, नई ट्रांसमिशन व्यवस्था में इस बात का खास तौर पर ख्याल रखा जाना चाहिए कि वर्ष 2030 तक देश में अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से पांच लाख मेगावाट और छह लाख मेगावाट बिजली बनने लगेगा। पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की जगह अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से बनी बिजली के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में ट्रांसमिशन की विशेष भूमिका होगी।
‘2047 तक 7,08,000 लाख मेगावाट की बिजली चाहिए’
उन्होंने कहा कि, हमें इस तरह की योजना बनानी होगी कि वर्ष 2047 तक 7,08,000 लाख मेगावाट की बिजली की जरूरत होगी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए हमारे पास 21 लाख मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता होनी चाहिए। यानी मौजूदा क्षमता में चार गुणा ज्यादा बिजली उत्पादन क्षमता जोड़नी होगी। ऐसा होने पर ही हम वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर सकेंगे।
वहीं अभी 11 अक्टूबर को हाल ही में नरेंद्र मोदी की अति महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर योजना से हर जगह रोशनी फैलाने के लिए प्रशासिनक अमला तैयार किया गया है। मंडलायुक्त डॉ. रोशन जैकब ने योजना का लाभ घर घर तक पहुंचाने के लिए प्रशासन को विशेष निर्देश दिए हैं।