
राजस्थान में जल्द ही मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी लागू की जाएगी। उप मुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने विधानसभा में यह जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को इस संबंध में गाइडलाइन भेजी है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पॉलिसी का मसौदा तैयार करने के लिए संबंधित विभागों से चर्चा की जा रही है और राज्य की आवश्यकता अनुसार इसमें संशोधन किया जाएगा।
उप मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की मंशा न केवल ऐप आधारित कैब सेवाओं को रेगुलेट करने की है, बल्कि उपभोक्ताओं को पारदर्शी और सुरक्षित सेवा भी प्रदान करनी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ओला, उबर जैसी एग्रीगेटर कंपनियों की सेवाओं को लेकर कई बार किराया निर्धारण, लाइसेंसिंग और सुरक्षा से जुड़ी शिकायतें सामने आई हैं, जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
क्या है मोटर व्हीकल एग्रीगेटर पॉलिसी?
केंद्र सरकार की इस नीति का उद्देश्य ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं के संचालन को एक ढांचे में लाना है। इसमें एग्रीगेटर कंपनियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा, कैब चालकों का पंजीकरण, किराए की अधिकतम सीमा और ग्राहक की सुरक्षा जैसे प्रावधान शामिल होंगे। इसके तहत राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे अपनी जरूरतों के अनुसार नियमों में संशोधन कर सकती हैं।
कब तक लागू होगी नीति?
डॉ. बैरवा ने बताया कि पॉलिसी के ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा और अनुमोदन के बाद इसे राज्य में लागू किया जाएगा। फिलहाल अधिकारियों की एक टीम इसे अन्य राज्यों की नीतियों से भी तुलना कर रही है ताकि राजस्थान के लिए एक व्यवहारिक और प्रभावी नीति तैयार की जा सके।
क्या होगा बदलाव?
नई नीति लागू होने के बाद यात्रियों को तयशुदा किराया, पारदर्शी बिलिंग सिस्टम, चालक की पृष्ठभूमि की जांच, रियल टाइम ट्रैकिंग और इमरजेंसी रिस्पॉन्स जैसी सुविधाएं मिल सकेंगी। वहीं, एग्रीगेटर कंपनियों पर भी जवाबदेही तय होगी और अनियमितताओं की स्थिति में लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान होगा।