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क्या परमाणु हमला करेगा रूस? यूक्रेन जंग जीतने को लेकर पुतिन ने बताई रणनीति

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस यूक्रेन युद्ध को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने में सक्षम है। रूस यूक्रेन में अपने लक्ष्य हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आवश्यकता नहीं पड़ी है, उम्मीद है कि भविष्य में भी इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

रूस के सर्वोच्च नेता के रूप में पुतिन के 25 साल के कार्यकाल के बारे में सरकारी टेलीविजन पर रविवार को प्रसारित फिल्म ”रूस, क्रेमलिन, पुतिन, 25 वर्ष” में जब पुतिन से पत्रकार ने यूक्रेन युद्ध से परमाणु हमले के खतरे के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा, वे हमें भड़काना चाहते थे ताकि हम गलतियां करें। उम्मीद है कि उसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।

गौरतलब है कि पुतिन ने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का आदेश दिया था जिससे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा जमीनी संघर्ष शुरू हो गया। इस युद्ध में लाखों सैनिक मारे गए हैं।

अपने उत्तराधिकारी को लेकर सोचते रहते हैं पुतिन

पुतिन से जब पूछा गया कि क्या रूस के सर्वोच्च नेता के रूप में वह उत्तराधिकार के बारे में सोचते हैं, तो उन्होंने कहा, मैं हमेशा इसके बारे में सोचता हूं। आखिरकार चुनाव रूसी जनता को करना है। मुझे लगता है कि एक व्यक्ति या बल्कि कई लोग होने चाहिए ताकि लोगों के पास विकल्प हो।हालांकि पुतिन का कोई स्पष्ट उत्तराधिकारी नहीं है, लेकिन रूसी संविधान के अनुसार, यदि राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को पूरा करने में असमर्थ हो, तो प्रधानमंत्री – वर्तमान में मिखाइल मिशुस्टिन – राष्ट्रपति पद की शक्तियां ग्रहण कर लेंगे।

केजीबी के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल रहे हैं पुतिन

पुतिन केजीबी के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। उन्हें 1999 में बीमार बोरिस येल्तसिन ने राष्ट्रपति पद सौंपा था। वह 2008 तक राष्ट्रपति रहे। इसके बाद 2008 से 2012 तक प्रधानमंत्री का पद संभाला।2012 में फिर राष्ट्रपति चुने जाने के बाद लगातार इस पद पर हैं। वह जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे समय तक क्रेमलिन के नेता रहे हैं। स्टालिन ने 1953 में अपनी मृत्यु तक 29 वर्षों तक शासन किया था।

पुतिन के विरोधी, जिनमें से अधिकांश अब या तो जेल में हैं या विदेश में, पुतिन को तानाशाह मानते हैं, वहीं पुतिन के समर्थक उन्हें जननेता मानते हैं, जिन्होंने अहंकारी पश्चिम को पीछे धकेला और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्पन्न अराजकता को समाप्त किया।

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