क्या RBI फिर से करेगा ब्याज दरों में कटौती? कब होगा इसे लेकर फैसला

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई जल्द ही अपनी एमपीसी मीटिंग (MPC Meeting) आयोजित कर सकता है। इस मीटिंग के दौरान रेपो रेट और अन्य कई वित्तीय संबंधित फैसले लिए जाते हैं। हर दो महीने में आरबीआई MPC मीटिंग घोषित करता है।
इस मीटिंग में मुख्य तौर पर रेपो रेट तय किया जाता है। सरल शब्दों कहा जाए तो मीटिंग के दौरान ये फैसला होता है कि भविष्य में कितना ब्याज देना होगा। इस बार 7 से 9 अप्रैल के बीच ये मीटिंग आयोजित की जा सकती है।
क्या ब्याज दर में होगी कटौती?
इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी। जिससे लगभग सभी बैंकों ने ब्याज दर में भी गिरावट की। अब बैंक ऑफ अमेरिका(बोफा) ग्लोबल रिसर्च की मानें तो आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट में कटौती कर सकता है।
हालांकि इसे लेकर अंतिम फैसला मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ही किया जाएगा। ये अनुमान लगाया जा रहा है कि रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती आ सकती है। जिसके बाद नया रेपो रेट दर 6 फीसदी हो जाएगा।
अगर रेपो रेट घटता है, तो आपको ईएमआई भी कम देना होगा। क्योंकि ब्याज दर कम हो जाएंगे। हालांकि ये ध्यान देने वाली बात है कि रेपो रेट का असर फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट (Floating Interest rate) पर देखने को मिलता है।
बैंक लोन में दो कैटेगरी होती है, इनमें फ्लोटिंग और फिक्स्ड लोन दोनों शामिल हैं।
क्यों हो रही मुद्रास्फीति और रेपो रेट में कटौती?
आरबीआई के रेपो रेट में कटौती के बाद खुदरा मुद्रास्फीति में भी गिरावट आई। एक तरह से सरकार और आरबीआई दोनों मिलकर आम आदमी की खरीदारी क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रही है। जिससे आर्थिक रूप स ग्रोथ आए। वहीं नौकरियों का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन हो।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट (Repo Rate) वे ब्याज दर है, जिसके जरिए देश की केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वाणिज्यिक बैंकों को लोन ऑफर करता है।
इस रेट पर आरबीआई शॉर्ट टर्म लोन ऑफर करता है, जो एक तय सीमा के लिए होता है।
वहीं अगर बैंक लंबे समय के लिए लोन लेना चाहे, तो ये बैंक रेट के आधार पर दिया जाता है।
अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो इसका मतलब है कि बैंकों को लोन महंगा पड़ने वाला है, जिससे लोगों का लोन मिलना भी महंगा हो जाता है।
वहीं अगर रेपो रेट में गिरावट आती है, तो इससे बैंकों को लोन सस्ता पड़ता है। वहीं लोग भी कम ब्याज दर पर लोन ले पाते हैं।
इस तरह से रेपो रेट ब्याज दरों में असर डालता है।