क्लीनिकल शुल्क जमा होने पर ही परीक्षा की अनुमति, नर्सिंग कॉलेजों को लेकर हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि निर्धारित क्लीनिकल शुल्क जमा होने पर नर्सिंग कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में भाग लेने तथा आगे पढ़ाई करने की अनुमति प्रदान की जाए। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी तथा जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए अपने आदेश में कहा कि संबंधित कॉलेज निर्धारित दर के अनुसार आवश्यक क्लीनिकल शुल्क जमा करें।
खंडवा निवासी हर्ष भान तिवारी की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि निजी नर्सिंग कॉलेजों द्वारा क्लीनिकल प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए शुल्क निर्धारित किया है। खरगोन और बड़वानी जिले में संचालित आठ कॉलेजों की निर्धारित शुल्क की राशि जमा नहीं है। कॉलेज संचालन के लिए निर्धारित शुल्क जमा करना आवश्यक है। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से आग्रह किया गया कि संबंधित कॉलेज ने निर्धारित शुल्क जमा किया है या नहीं, इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने समय प्रदान किया जाए।
युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कॉलेजों द्वारा शुल्क का भुगतान किया गया है या नहीं, इस तर्क पर न्यायालय हस्ताक्षेप करने का इच्छुक नहीं है। युगलपीठ ने प्रमुख सचिव तथा आयुक्त लोक स्वास्थ और परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल सहित अन्य प्रतिवादियों को आदेशित किया है कि कॉलेजों से सुनिश्चित रूप से आवश्यक क्लीनिकल शुल्क जमा करवाया जाए। युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए कहा है कि निर्धारित शुल्क जमा होने पर ही इन कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा में भाग लेने तथा आगे पढ़ाई करने की अनुमति प्रदान की जाए।